😊अगिया बेताल😊
क़मर सिद्दीक़ी
बस यही कुछ चल रहा है आज कल प्रदेश सरकार में। मामा जी ने अपनी चौथी पारी की,तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर कुछ “चुनिंदा” पत्रकारों को आमंत्रित किया,लेहाज़ा सवालात भी “चुनिंदा” क़िस्म के होने थे सो हुए। ये सवाल कुछ उस तरह के थे, जैसे कोई पूछे कि,आप आम काट के खाते हैं,या चूस के? यहां बातों-बातों में बताया गया कि,अब एमबीबीएस के कोर्स में हिंदी मीडियम,व सरकारी स्कूलों के युवकों को आरक्षण मुहैय्या कराया जाएगा। अरे भाई जब अपनी,जड़ों,परंपरा,और भाषा का इतना ही ख़्याल है तो,आयुर्वेद को बढ़ावा क्यों नहीं देते? नए शोध,नई तकनीक,नए प्रयोग कर उसे इतना सक्षम बनाया जाए कि,आपातकालीन सेवाओ के अलावा इसकी जरूरत ही न पड़े। इसी तरह लोगों के खाते खुलवाए जा रहे हैं। 20 दिनों में 1 लाख से अधिक खाते खुलवा दिए गए।इसमें लाडली बहना योजना भी शामिल है। अब सवाल ये उठता है कि,इन खातों का भी वही हश्र तो नहीं होगा जो 15 लाख वाले खातों का हुआ था।
भीख का फंडा!
कांग्रेसियों ने सरकार को घेरने का नया तरीक़ा ईजाद कर लिया। युवा कांग्रेसियों ने आज अपने मुख्यालय के बाहर,आते-जाते लोगों से भीख मांग कर ये बताने का प्रयास किया कि,इस सरकार के रहते अब युवाओं के पास जीविका चलाने का यही एक मात्र तरीक़ा बचा है। ऐसा लगता है ये सीख भी उन्हें सरकारी पक्ष से ही मिली है। वो भी आय दिन लोन के नाम पर भीख ले रहे हैं,और उसी भीख से लोगों को मदद के नाम पर भीख देने की योजना पर काम हो रहा है। आते-जाते लोग सोच रहे हैं कि,एक तो वैसे ही हमारी जेबें हल्की हैं,उस पर आपका ये विरोध करने का रास्ता हमारे ऊपर भारी पड़ रहा है। वैसे इन कांग्रेसियों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि, सियासत में जो लोग,सियासी मेहनत नहीं करते,उन्हें यही रास्ता अपनाना पड़ता है। अरे यारों आपसी गुटबाज़ी,और जूतम-पैजार से ऊपर उठो,और अपनी सरकार बनाओ,क्यों ज़लालत का काम करते हो।
औरों के ख़्यालात की लेते हैं तलाशी, और अपने गिरेवां में झांका नहीं जाता।
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण ‘प्रदेश लाइव’ के नहीं हैं और ‘प्रदेश लाइव’ इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेता है।)