हिन्दू धर्म में बिल्व के वृक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है। बिल्व पत्र को बेल पत्र भी कहा जाता है। माना जाता है कि यदि आपने बिल्वपत्र के पेड़ को घर के आसपास लगा लिया तो आपको कई तरह के फायदे होंगे। यदि यह गलत दिशा में लगा है तो नुकसान भी हो सकते हैं। आओ जानते हैं कि बिल्व पत्र लगाने के शुभ फल।
1. बिल्वपत्र के वृक्ष को श्रीवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इसके घर के पास होने से धन-समृद्धि के योग बनते हैं।
2. यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में वास है। जिस घर में एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है।
3. बिल्व वृक्ष के पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाए जाते हैं। इसके घर के पास लगे होने से शिवजी प्रसन्न होते हैं।
4. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और किसी माह की संक्राति को बिल्वपत्र नहीं तोडऩा चाहिए।
5. बिल्वपत्र की जड़ का जल अपने माथे पर लगाने से समस्त तीर्थयात्राओं का पुण्य प्राप्त हो जाता है।
6. कहते हैं कि जिस स्थान पर बेलपत्र का पौधा लगा होता है वह काशी तीर्थ के समान पवित्र और पूजनीय स्थल हो जाता है।
7. बेलपत्र का पौधा होने से व्यक्ति के पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और सभी सदस्यों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
8. कर्ज से मुक्ति के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाएं बेल का पौधा।
9. जहां बेल पत्र लगा होता है वहां के घर पर किसी भी तंत्र बाधा का असर नहीं होता है।
10. वास्तुशास्त्र के अनुसार बेल का पौधा नकारात्मक शक्तियों का नाश कर सकारात्मक शक्तियों का संचार करता है।
11. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह घर के सदस्यों को चंद्र दोष से मुक्त करता है। मान सम्मान में बढ़ोतरी करता है।
12. इस पौधे के घर में लगे होते से गृह कलह कलेश दूर होता है।
13. औषधीय गुणों से परिपूर्ण बिल्व की पत्तियों में टैनिन, लौह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नेशियम जैसे रसायन पाए जाते हैं। बिल्व पत्र आंखों की रोशनी बढ़ाने, पेट के कीड़े मारने और कैंसर की रोकथाम में बहुत काम आता है।
14. बिल्वपत्र का सेवन, त्रिदोष यानी वात (वायु), पित्त (ताप), कफ (शीत) व पाचन क्रिया के दोषों से पैदा बीमारियों से रक्षा करता है। यह त्वचा रोग और डायबिटीज के बुरे प्रभाव बढ़ने से भी रोकता है व तन के साथ मन को भी चुस्त-दुरुस्त रखता है।
15. जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है। ‘शिवपुराण’ में इसकी महिमा विस्तृत रूप में बताई गई है।
16. माना जाता है कि अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूध निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है। लेकिन इसकी पुष्टि के लिए किसी आयुर्वेद के विशेषज्ञ से संपर्क करें। यहां सिर्फ जानकारी हेतु दिया है।