हिंदू धर्मावलंबियों के खास मास खरमास पौष कृष्ण अष्टमी 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है. इसके साथ ही शुभ कार्यों, मांगलिक कार्यों पर महीने भर का विराम लग जायेगा. फिर नये साल में 14 जनवरी माघ कृष्ण सप्तमी की मध्यरात्रि के बाद सूर्य के मकर राशि में गोचर करने से खरमास समाप्त होगा.
मध्यरात्रि के बाद सूर्य का राशि परिवर्तन होने से इसका पुण्यकाल अगले दिन 15 जनवरी को होगा. इस दिन से शुभ मांगलिक कार्य शुरू होंगे. सूर्य के उत्तरायण होते ही आम जनमानस के कार्य क्षमता में वृद्धि होगी. खरमास में पितृकर्म पिंडदान का खास महत्व है. खरमास में भगवान विष्णु की पूजा फलदायी होती हैं और जातक भूलोक पर सभी सांसारिक सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक धाम में निवास करता है. खरमास अवधि में धार्मिक अनुष्ठान करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है.
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से लगेगा खरमास
आचार्य राकेश झा ने बताया कि 16 दिसंबर की रात 06:56 बजे सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से खरमास लग जायेगा. सूर्य के इस राशि परिवर्तन से खरमास यानी अशुद्ध मास का आरंभ हो जायेगा. सूर्य ही संक्रांति व लग्न के राजा माने जाते हैं. फिर 14 जनवरी को देर रात 02:53 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास समाप्त हो जायेगा. रात्रि काल में राशि परिवर्तन होने से कारण इसका पुण्यकाल 15 जनवरी को मध्याह्न काल तक रहेगा. संक्रांति का स्नान-दान, खिचड़ी का त्योहार 15 को ही मनाया जायेगा.
भगवान श्रीहरि की पूजा फलदायी :
ज्योतिषी झा के मुताबिक खरमास में कोई भी शुभ मांगलिक आयोजन नहीं होते हैं. विवाह, नये घर में गृह प्रवेश, नये वाहन की खरीदी, संपत्तियों का क्रय-विक्रय, मुंडन संस्कार जैसे अनेक शुभ कार्य वर्जित होते हैं. खरमास 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खत्म हो जायेगा. सूर्य, गुरु की राशि धनु व मीन राशि में प्रवेश करता है, तो इससे गुरु का प्रभाव समाप्त हो जाता है. शुभ मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का पूर्ण बली अवस्था में होना आवश्यक है. कहा जाता है कि इस दौरान सूर्य मलिन अवस्था में रहता है. इसलिए इस एक माह की अवधि में किसी भी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं.