Friday, October 11, 2024
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Rudraksha : आप भी पहन रहें हैं गले में रुद्राक्ष, तो जाने क्या है रुद्राक्ष धारण करने के नियम…

Rudraksha : शास्त्रों में रुद्राक्ष का काफी महत्व बताया गया है। माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। इसी कारण जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष धारण करने का ना सिर्फ धार्मिक महत्व है बल्कि इससे स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। मान्यता है कि जब माता सती ने खुद को अग्नि में प्रवेश कराकर देह का त्याग कर दिया था तब भगवान शिव के रुदन से निकले आंसू पृथ्वी पर कई जगह गिरे और उनसे प्रकृति को रुद्राक्ष के रूप में एक चमत्कारी तत्व की प्राप्ति हुई थी।इसी कारण रुद्राक्ष को चमत्कारी और अलौकिक माना जाता है। रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं। जिनकी अपने अलग-अलग महत्व है। माना जाता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को नियम और विधि के अनुसार पहन लें तो वह हर तरह के संकटों से छुटकारा पा लेता है और कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी सही हो जाती है। जानिए रुद्राक्ष पहनने से पहले कौन से नियम जानना बेहद जरूरी है, जिससे इसे धारण करने के पूर्ण फल प्राप्त हो।

रुद्राक्ष धारण करने के नियम

हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवों के देव महादेव को रुद्राक्ष प्रिय है। इसी कारणवश वे अपने शरीर पर इसे धारण भी करते हैं। महादेव की कृपा पाने के लिए जो भी उन्हें रुद्राक्ष अर्पित करता है उनके हर काम सफल होते हैं। माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को रक्तचाप, हृदय रोग से जुड़ी बीमारियां आसानी से नहीं जकड़ती। रुद्राक्ष अलग-अलग आकार और धारियों के होते हैं जिनकी अलौकिकता भी अगल होती है। क्योंकि रुद्राक्ष को बेहद ही पवित्र और शुभ माना है इसलिए इसे धारण करने के भी कुछ विशेष नियम हैं। यदि आप इसका पालन नहीं करेंगे तो इसके परिणाम आपका भारी नुकसान कर सकते हैं।

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सूतक में न पहनें रुद्राक्ष

रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि घर में बच्चे के जन्म या किसी मृत्यु के समय रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। इसे सूतक काल माना जाता है और सूतक में रुद्राक्ष पहनना अशुभ होता है।

सोने से पहले उतार दें रुद्राक्ष

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष को सोने से पहले उतार देना चाहिए। माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करके सोने पर वह अशुद्ध हो जाता है। इसको अगर दूसके तौर पर देखा जाए तो सोते वक्त रुद्राक्ष टूटने का डर भी रहता है, इसलिए सोने से पहले इसको उतारने का विधान है। सुबह स्नान करने के बाद ही इसको दुबारा धारण करना चाहिए।

रुद्राक्ष पहनने वालें ना करें मांस-मदिरा का सेवन

क्योंकि रुद्राक्ष को बेहद पवित्र माना जाता है इसलिए मांस-मदिरा का सेवन करते समय इसे नहीं पहनना चाहिए। मान्यता है कि रुद्राश भगवान शिव का प्रसाद होता है इसलिए इसकी पवित्रता खंडित करना व्यक्ति को विपरीत परिणाम दे सकता है।

हर रुद्राक्ष का अलग महत्‍व 

रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक होते हैं। हर रुद्राक्ष का अपना अलग महत्‍व है। व्‍यक्ति को अपनी मनोकामना या जरूरत के लिहाज से रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। जैसे- धन प्राप्ति के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष, सुख-मोक्ष और उन्‍नति पाने के लिए एक मुखी रुद्राक्ष, ऐश्‍वर्य पाने के लिए त्रिमुखी रुद्राक्ष आदि। लेकिन रुद्राक्ष से मिलने वाला पूरा लाभ पाने के लिए उसे विधि-विधान से धारण करना चाहिए। साथ ही कुछ बेहद जरूरी नियमों का पालन करना चाहिए। यदि रुद्राक्ष धारण करने वाला व्‍यक्ति इन नियमों के पालन में कोताही बरतता है तो भगवान शिव रूठ सकते हैं।

हर तरह के रुद्राक्ष को किसी न किसी रूप में बेहद लाभकारी बताया गया है।हर रुद्राक्ष के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक कुछ धारियां खिंची होती हैं।इन्हें मुख कहा जाता है।आगे बताया गया है रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है

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एकमुखी रुद्राक्ष : एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है।इसे साक्षात् शिव बताया गया है।माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है।

दो मुखी रुद्राक्ष : दो मुखी रुद्राक्ष को देवी और देवता , दोनों का स्वरूप बताया गया है।इसे धारण करने से कई तरह के पाप दूर होते हैं।

तीन मुखी रुद्राक्ष : तीन मुखी रुद्राक्ष को अनल ( अग्नि ) के समान बताया गया है।

चतुर्मुखी रुद्राक्ष : चार मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा का रूप बताया गया है।बताया गया है कि इसे धारण करने से ब्रह्म हत्या का पाप नष्ट हो जाता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष : पंचमुखी रुद्राक्ष को स्वयं रुद्र कालाग्नि के समान बताया गया है।इसे धारण करने से शांत व संतोष की प्राप्ति होती है ।

छह मुखी रुद्राक्ष : छह मुख वाले रुद्राक्ष को कार्तिकेय का रूप कहा गया है।इसे दाहिने हाथ में पहनना चाहिए ।

सात मुखी रुद्राक्ष : सात मुखी रुद्राक्ष को अनंग बताया गया है।इसे धारण करने से सोने की चोरी आदि के पाप दूर हो जाते हैं ।

आठ मुखी रुद्राक्ष : अष्टमुखी रुद्राक्ष को गणेशजी का स्वरूप कहा गया है।इसे धारण करने से पाप और अन्य तरह के क्लेश दूर होते हैं।

नौ मुखी रुद्राक्ष : नौ मुखी रुद्राक्ष को भैरव कहा गया है।इसे बाई भुजा में पहनना चाहिए।इसे धारण करने वाले को भोग और मोक्ष की प्राप्त होती है।

दशमुखी रुद्राक्ष : दशमुखी रुद्राक्ष को जनार्दन या विष्णु का स्वरूप बताया गया है।इसे धारण करने से मनुष्य के सभी ग्रह शांत रहते हैं और उसे किसी तरह का भय नहीं सताता है ।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष : ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् रुद्र कहा गया है ।जो इसे शिखा में धारण करता है ,उसे कई हजार यज्ञ कराने का फल मिलता है ।

बारह मुखी रुद्राक्ष : बारह मुखी रुद्राक्ष कान में धारण करना शुभ बताया गया है ।इसे धारण करने से धन-धान्य और सुख की प्राप्ति होती है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष : तेरह मुखी रुद्राक्ष के बारे में कहा गया है कि अगर यह मिल जाए,तो सारी कामनाएं पूरी कराने वाला होता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष : चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य शिव के समान पवित्र हो जाता है।इसे सिर पर धारण करना चाहिए।धारण करने के साथ – साथ जप आदि कार्यों में भी रुद्राक्ष का प्रयोग होता है।जप करने में 108 दानों की माला उपयोगी मानी गई है ।

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राशि के अनुसार पहने रुद्राक्ष

ज्योतिष के अनुसार सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना को पूरा करने के लिए हमेशा अपनी राशि के अनुसार ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। आइए जानते हैं कि 12 राशियों के लिए कौन सा रुद्राक्ष मंगलकारी है।

मेष राशि – एक मुखी, तीन मुखी या फिर पांच मुखी रुद्राक्ष

वृष राशि – चार मुखी, छह मुखी या फिर चौदह मुखी रुद्राक्ष

मिथुन राशि – चार मुखी, पांच मुखी और तेरह मुखी रुद्राक्ष

कर्क राशि – तीन मुखी, पांच मुखी या फिर गौरी-शंकर रुद्राक्ष

सिंह राशि – एक मुखी, तीन किया मुखी और पांच मुखी रुद्राक्ष

कन्या राशि – चार मुखी, पांच मुखी और तेरह मुखी

तुला राशि – चार मुखी, छह मुखी या फिर चौदह मुखी रुद्राक्ष

वृश्चिक राशि – तीन मुखी, पांच मुखी या फिर गौरी-शंकर रुद्राक्ष

धनु राशि – एक मुखी, तीन मुखी या पांच मुखी रुद्राक्ष

मकर राशि – चार मुखी, छह मुखी अथवा चौदह मुखी रुद्राक्ष

कुंभ राशि – चार मुखी, छह मुखी या फिर चौदह मुखी रुद्राक्ष

मीन राशि – तीन मुखी, पांच मुखी या फिर गौरी-शंकर रुद्राक्ष

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