Friday, April 19, 2024
Homeराज्‍यमध्यप्रदेशपूर्वजों की धरती से पानी उतरते ही वहीं शादी करने पहुंचे, टापू...

पूर्वजों की धरती से पानी उतरते ही वहीं शादी करने पहुंचे, टापू बने गांवों पर गूंजी शहनाइयां

बड़वानी ।   गुजरात के सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर की डूब में आए गांवों से अब पानी उतरने लगा है। छह माह से बैकवाटर में डूबे टापू गांवों में अब पानी उतरते ही आवागमन शुरू हो गया है। वहीं सूने गांवों में अब शहनाइयों की गूंज सुनाई देने लगी हैं। कीचड़ व परेशानियों के बीच शादियां हो रही हैं। बैकवाटर के उतरते ही यहां शादी व मांगलिक आयोजन होने लगे हैं। यहां के रहवासियों का ऐसा मानना है कि उनके पूर्वजों की शादी व अन्य आयोजन यहीं हुए हैं, इसलिए उनकी पीढ़ी के आयोजन भी यहीं होने चाहिए। इसलिए बैकवाटर का पानी उतरने का इंतजार कर रहे थे। हर साल यहां पानी उतरने के बाद ये आयोजन होते हैं। अपनी जमीन से जुड़ाव के चलते टापू गांव राजघाट सहित अन्य गांवों में लोग पुराने मकानों में ही निवास कर रहे हैं।

दो माह तारीख आगे बढ़ाकर किया पानी उतरने का इंतजार, जोबट से आई बारात

टापू गांव राजघाट निवासी कनकसिंह दरबार के घर पर शनिवार को बेटी का विवाह हुआ। जोबट से बरात आई और बरातियों व मेहमानों ने नर्मदा स्नान किया और फिर शादी में शामिल हुए। कनकसिंह ने बताया कि करीब दो माह पूर्व विवाह मुहूर्त को आगे बढ़ाकर पानी उतरने का इंतजार किया। दो माह से पानी उतरने का इंतजार कर रहे थे। शुभ मुहूर्त में नर्मदा किनारे विवाह हुआ। हालांकि, यहां पर कीचड़ फिलहाल सूख गया है।

पिता के बाद बेटी की भी यहीं से शादी का अरमान पूरा हुआ

58 वर्षीय कनकसिंह ने बताया कि राजघाट पर करीब 17 लोगों का परिवार निवासरत है। यहां पर उनकी भी शादी हुई और उनकी बेटी छाया की शादी भी राजघाट पर ही करने का अरमान पूरा हुआ। इसी तरह मई माह में भी एक परिवार में शादी होगी।

शादी, जन्मदिन के आयोजन सहित होते हैं कई मांगलिक आयोजन

राजघाट निर्माण समिति एवं रोहिणी तीर्थ क्षेत्र समिति के पंडित सचिन शुक्ला के अनुसार राजघाट पर विवाह आयोजन सहित अन्य मांगलिक व अमांगलिक आयोजन होते हैं। कई लोग यहां पर अपने बच्चों व स्वजनों का जन्मदिन नर्मदा किनारे मनाते हैं। नर्मदा पूजन व आरती करते हैं। यहां के प्राचीन श्री दत्त मंदिर में पूजन व राजघाट के परिसर में आयोजन होते हैं। इसके अलावा यहां से पैदल, बसों व अन्य वाहनों से गुजरने वाले परिक्रमावासी भी रूकते हैं और नर्मदा पूजन कर रात्रि विश्राम करते हैं। सुबह-शाम संगीतमयी कीर्तन व आरती करते हैं और आगे गंतव्य की ओर निकल जाते हैं। क्षेत्र के वरिष्ठ इतिहासविद डा़ शिवनारायण यादव के अनुसार राजघाट एक पौराणिक स्थल है। यहां पर प्राचीन समय से ही बरात रुकने व मांगलिक-अमांगलिक आयोजनों का सिलसिला जारी है। हालांकि, वर्तमान में बैकवाटर में डूबने के कारण ये आयोजन अब कम होते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments