Friday, March 29, 2024
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संघ की मंत्रियों-विधायकों को दो टूक नसीहत – सभी को नहीं मिलेगा टिकट

भोपाल । विधानसभा चुनाव की बागडोर संघ ने अपने हाथ में ले ली है। दरअसल संघ के ही सर्वे में भाजपा की सरकार ना बनने की रिपोर्ट आने के बाद यह निर्णय लिया गया और अभी तीन दिन भोपाल में संघ के दिग्गज पदाधिकारियों ने 20 से अधिक मीटिंग समिधा सहित अन्य स्थानों पर ली, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर उनके कई मंत्री और यहां तक कि प्रमुख विभागों के आला अधिकारियों को भी तलब किया गया और उनसे संबंधित प्रमुख योजनाओं की मैदानी हकीकत जानी गई, जिसमें हालिया घोषित लाडली बहना योजना भी शामिल है।
भाजपा के वैसे तो बड़े चुनावों में संघ की भूमिका पर्दे के पीछे की रहती है। मगर अब ऐसा लगता है कि जमीनी हालात समझने के बाद संघ ने मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हालत पतली जानकर बागडोर अपने हाथ में ले ली है। पिछले दिनों संघ के वरिष्ठ भैया जी जोशी ने इंदौर सहित प्रदेशभर के दौरे किए और अभी उन्होंने भोपाल में डेरा डाल रखा था। उनके साथ संघ के अन्य वरिष्ठ और उनके अनुशांगिक संगठनों के प्रमुख भी मौजूद रहे। हितानंद जी से लेकर अरुण जी, दीपक विश्पुते, माखन सिंह सहित अन्य वरिष्ठों ने दो टूक चर्चा की, जिसमें मंत्रियों और विधायकों को स्पष्ट कहा गया कि सभी को टिकट नहीं मिलेगा और वे मानसिक रूप से इसके लिए तैयार भी रहें। दरअसल सर्वे में कई मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ नाराजगी देखी गई। वहीं भ्रष्टाचार से लेकर अन्य आरोप भी लगे हैं, जिसके चलते गुजरात की तर्ज पर बड़े पैमाने पर टिकट काटी जाएगी। उसी के मद्देनजर संघ ने अभी से इस तरह की चेतावनी देना शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री से लेकर कुछ मंत्रियों और अफसरों से भी संघ के इन वरिष्ठों ने चर्चा की है और जो शासन की किसानों, गरीबों, महिलाओं, आदिवासियों-दलितों से जुड़ी जो योजनाएं हैं उनकी मैदानी स्थिति भी जानी, जिसमें अभी घोषित की गई लाडली बहना योजना भी शामिल है। इसको लेकर मुख्यमंत्री सहित भाजपा का एक वर्ग आश्वस्त है कि यह योजना विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकती है। संघ ने अपने अनुशांगिक संगठनों सेवा भारती, ग्राम विकास, आरोग्य भारती, लघु भारती सहित अन्य को भी सक्रिय कर दिया है और अब चुनाव की बागडोर पूरी तरह से संघ के हाथों में ही रहेगी, जिसके परिणाम आने वाले दिनों में सत्ता-संगठन में देखने को भी मिलेंगे। अभी जो भोपाल में संघ के वरिष्ठों ने बैठक ली उसमें चंबल क्षेत्र में भीषण गुटबाजी और कार्यकर्ताओं में नाराजगी उजागर हुई। दरअसल इस क्षेत्र में भाजपा के दिग्गज नेताओं में ही तालमेल नहीं है और श्री सिंधिया के भाजपा में आने के बाद यह संघर्ष और बढ़ गया है। लिहाजा चंबल क्षेत्र पर जहां संघ का विशेष फोकस है, वहीं आदिवासी बेल्टों में भाजपा की स्थिति तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं हुई है। लिहाजा झाबुआ में ही शिवगंगा अभियान को और तेज किया जा रहा है तथा 100 से अधिक संघ के कार्यकर्ता, चिकित्सक और अन्य प्रबुद्ध लोगों को मालवा प्रांत में जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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