Thursday, March 23, 2023
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बीटेक की पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले विद्यार्थी पांच साल के भीतर फिर ले सकेंगे प्रवेश

भोपाल ।  राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर अध्यादेश जारी किया है। इसमें मल्टीपल एंट्री-एग्जिट (विद्यार्थी कभी आ सकता है और कभी भी जा सकता है) के प्रविधानों को इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम बीटेक में लागू करने के लिए नियम बनाए हैं। इसके अनुसार एक वर्ष की पढ़ाई पूरी कर छोड़कर जाने वाले विद्यार्थी को सर्टिफिकेट, दो वर्ष पर डिप्लोमा, तीन वर्ष पर बी वोकेशनल एवं चार वर्ष की पढ़ाई पूरी करने वाले विद्यार्थी को विश्वविद्यालय स्नातक की डिग्री देगा। यानी कि बीटेक वाले विद्यार्थी कभी भी प्रवेश लेने के बाद और कोर्स छोड़ने के बाद पांच साल के भीतर पुन: एडमिशन लेकर अपनी पढ़ाई पूरी सकते हैं। इसके लिए विद्यार्थियों को पांच साल के भीतर एंट्री करनी होगी। इसके तहत एग्जिट के बाद दोबारा प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के लिए 10 प्रतिशत सीट आवंटन का प्रविधान हर वर्ष प्रत्येक ब्रांच के प्रत्येक सेमेस्टर में होगा। इस प्रविधान को एकेडमिक काउंसिल से सहमति मिल गई है। अब कार्यपरिषद की बैठक में रखा जाएगा। यहां से अप्रूवल मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। इससे आरजीपीवी से संबद्ध करीब 160 इंजीनियरिंग कालेजों के विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।

एक वर्ष के बाद एग्जिट वाले को ब्रिज कोर्स करना होगा

इस नए प्रविधान में यह भी उल्लेख है कि एक वर्ष की पढ़ाई पूरा कर बाहर होने वाले विद्यार्थी को दस क्रेडिट का ब्रिज कोर्स करना होगा, जिसमें छह क्रेडिट जाब इंटर्नशिप या अप्रेंटिसशिप के होना जरूरी होंगे। ऐसे विद्यार्थियों को संबंधित बोर्ड आफ स्टडीज द्वारा तय किसी विषय के पाठ्यक्रम में ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य होगा। यह भी प्रविधान किया है कि कोर्स छोड़ने जाने के बाद पुन: प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के लिए दस प्रतिशत सीट का प्रविधान प्रत्येक वर्ष प्रत्येक ब्रांच में रहेगा इससे अधिक आवेदन आने पर मेरिट के आधार पर केवल 10 प्रतिशत विद्यार्थियों का ही पुन: प्रवेश मल्टीपल एंट्री के रूप में होगा। शेष आवेदकों को अगले सत्र में प्रवेश की संभावना उपलब्धता के आधार पर बनी रहेगी। वहीं इंटर्नशिप के लिए अध्यादेश में प्रविधान किया गया है कि चौथे वर्ष में यदि किसी विद्यार्थी को जाब इंटर्नशिप किसी कंपनी द्वारा प्रदान की जाती है, तो ऐसी स्थिति में विद्यार्थी अपने चौथे वर्ष के पाठ्यक्रम को स्वयं पोर्टल पर पढ़ाई कर क्रेडिट अर्जित करने की पात्रता होगी। ऐसे विद्यार्थी को इंटर्नशिप कराने वाले संस्थान से गाइड लेना आवश्यक होगा। साथ ही यह अनिवार्य होगा कि उनके मेजर प्रोजेक्ट का टापिक इंटर्नशिप से संबंधित हो या विद्यार्थी को संबंधित विषय की थीसिस भी संस्था में अनिवार्यत: जमा कराना होगी।

इस प्रविधान को एकेडमिक काउंसिल से सहमति मिल गई है। अब कार्यपरिषद की बैठक में रखा जाएगा। यहां से अप्रूवल मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।

– राजीव रंजन अकेला, जनसंपर्क अधिकारी, आरजीपीवी

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