Friday, March 21, 2025
Homeदेशहाईकोर्ट का फैसला: दफ्तर में झपकी ले सकते हैं कर्मचारी, लेकिन किन...

हाईकोर्ट का फैसला: दफ्तर में झपकी ले सकते हैं कर्मचारी, लेकिन किन शर्तों के तहत

बेंगलुरु: क्या दफ्तर में काम के दौरान आपको झपकी आती है, क्या आपके साथी या बॉस आपको ऑफिस में काम के दौरान झपकी लेने पर परेशान करते हैं? अगर ऐसा है तो हाईकोर्ट का यह फैसला आपको जरूर पढ़ना चाहिए. कर्नाटक के एक कांस्टेबल चंद्रशेखर के पावरनैप का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो उसे नौकरी से निलंबित कर दिया. फिर कोर्ट में उस कांस्टेबल ने जो दलीलें दी उस पर हाईकोर्ट के जज ने कहा कि संविधान के तहत लोगों के सोने और आराम करने के अधिकार की मान्यता दी है और समय-समय पर आराम और नींद के महत्व पर जोर दिया है. जज ने आगे कहा कि इसलिए, इस मामले में याचिकाकर्ता के ड्यूटी के दौरान सोने में कोई गलती नहीं मानी जा सकती है.

कर्नाटक राज्य परिवहन निगम (केकेआरटीसी) के एक ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल, जिसे लगातार दो महीने तक 16 घंटे की शिफ्ट करने के बाद 10 मिनट की झपकी लेने के लिए निलंबित कर दिया गया था. इस मामले में अब कांस्टेबल को हाईकोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने केकेआरटीसी द्वारा जारी निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति ने कहा कि केकेआरटीसी प्रबंधन ने ही गलती की थी, क्योंकि उन्होंने कांस्टेबल को बिना ब्रेक के दो महीने तक एक दिन में दो शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर किया था.

हाईकोर्ट ने दिया क्या आदेश?

हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को वेतन सहित सभी लाभ मिलेंगे. यदि याचिकाकर्ता ने एक शिफ्ट में ड्यूटी के दौरान सोया होता, तो यह निश्चित रूप से गलत होता. जज ने कहा कि इस मामले में, याचिकाकर्ता को बिना ब्रेक के 60 दिनों तक एक दिन में 16 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया गया था. चंद्रशेखर को 13 मई 2016 को कोप्पल डिवीजन में कर्नाटक राज्य परिवहन कांस्टेबल के रूप में नौकरी ज्वाइन की. 23 अप्रैल 2024 को एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता को काम पर सोते हुए पाया गया था. 1 जुलाई, 2024 को चंद्रशेखर को निलंबित कर दिया गया.

क्या थी कोर्ट में कांस्टेबल की दलीलें

इसे आदेश को चुनौती देते हुए कांस्टेबल चंद्रशेखर ने हाईकोर्ट में दलील दी कि उसे सोने का मौका तक नहीं दिया जा रहा था, क्योंकि उन्हें लगातार दो महीने तक बार-बार शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर किया गया था और इसलिए काम पर सो गए. केकेआरटीसी ने तर्क दिया कि ड्यूटी पर सोते हुए याचिकाकर्ता के वीडियो ने निगम की बदनामी की है.

जज काम के घंटे पर क्या बोले?

न्यायमूर्ति ने नोट किया कि एक केएसटी कांस्टेबल के काम के घंटे एक दिन में आठ घंटे होते हैं. भारी काम के बोझ के कारण चंद्रशेखर को दो शिफ्ट करने के लिए कहा गया था. मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 24 में कहा गया है कि सभी को आराम और छुट्टी का अधिकार है, जिसमें काम के घंटों की उचित सीमा और वेतन के साथ समय-समय पर छुट्टियां शामिल हैं. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, जिसका भारत एक हिस्सा है उसमें भी काम और जीवन के संतुलन को मान्यता दी गई है. काम के घंटे एक हफ्ते में 48 घंटे और एक दिन में 8 घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए, सिवाय असाधारण परिस्थितियों के.

जज ने आगे कहा कि केकेआरटीसी की अपनी गलती के लिए निलंबन की कार्रवाई निस्संदेह एक ऐसी कार्रवाई है जो सद्भावना की कमी से ग्रस्त है. जज ने कहा कि इस आदेश को रद्द किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता को सेवा की निरंतरता और निलंबन की अवधि के लिए वेतन सहित सभी परिणामी लाभ प्राप्त करने का अधिकार है.

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group