बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शिक्षकों के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। जिसके बाद शिक्षाकर्मी भी प्राचार्य बन सकेंगे। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने कहा कि सरकार ने पदोन्नति के नियम तय करने में शिक्षा विभाग में पहले से कार्यरत व्याख्याताओं के हितों को ध्यान में रखा है। 65 फीसदी पदों में से 70 फीसदी पद ई-संवर्ग के व्याख्याताओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। जिसके बाद शिक्षाकर्मी भी स्कूलों में प्राचार्य बन सकेंगे।
कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कीं
कोर्ट ने शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति नियम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पदोन्नति कोई संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। आपको बता दें कि शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद शिक्षा विभाग में आए व्याख्याता एलबी के लिए 30 फीसदी पद आरक्षित किए गए हैं। ऐसे में नियम को असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता। इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं।
सभी संवर्गों को पदोन्नति के अवसर
राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने कहा कि पंचायत विभाग और स्थानीय निकायों के शिक्षकों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है। सभी विभागों के कर्मचारियों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन होने के बाद उनके हितों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग संवर्ग बनाए गए हैं। सभी संवर्गों को पदोन्नति के अवसर प्रदान किए गए हैं।
शिक्षाकर्मियों के लिए खुले दरवाजे
हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद अब शिक्षाकर्मियों के लिए भी प्राचार्य बनने के दरवाजे खुल गए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नियम 2019 की अनुसूची-2 के अनुसार व्याख्याता के पदोन्नति का पद प्राचार्य है। कुल स्वीकृत पदों में से 10 प्रतिशत सीधी भर्ती से और 90 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाने थे। जिसमें से 65 प्रतिशत व्याख्याता ई-संवर्ग और टी-संवर्ग तथा 30 प्रतिशत व्याख्याता ई (एलबी) और टी (एलबी) संवर्ग से पदोन्नति से भरे जाएंगे। 30 प्रतिशत पद (एलबी) संवर्ग को दे दिए गए हैं, इसलिए याचिकाकर्ताओं के पदोन्नति अवसर प्रभावित होंगे। अधिकांश शिक्षक सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिसके कारण उन्हें प्राचार्य पद पर पदोन्नति नहीं मिल पाएगी।