24 घंटे में सम्राट चौधरी को गोली मार दूंगा.. बिहार के डिप्टी CM को धमकी भरे कॉल के बाद पुलिस अलर्ट

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पटना: बिहार में एक बार फिर एक वरिष्ठ नेता को जान से मारने की धमकी मिलने की खबर सामने आई है. इस बार निशाने पर राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हैं. उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा फोन कॉल और मैसेज के जरिए जान से मारने की धमकी दी गई है. बता दें कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा को धमकी दी गई थी.

उपमुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी : यह घटना बिहार में लगातार बढ़ रही धमकी की घटनाओं में एक और गंभीर अध्याय जोड़ती है. हाल के महीनों में कई नेताओं को इसी तरह की कॉल और धमकी भरे मैसेज मिल चुके हैं. हालांकि, पूर्व की घटनाओं में पुलिस ने कई अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है.

धमकी मिलने के बाद त्वरित कार्रवाई : जानकारी के अनुसार, सम्राट चौधरी के कार्यकर्ता को धमकी भरा कॉल आया. जिसमें कहा गया कि ''सम्राट चौधरी को 24 घंटे के अंदर गोली मार दूंगा, सच कह रहा हूं.'' उनकी सुरक्षा टीम ने तुरंत मामले को गंभीरता से लिया और इसकी सूचना पटना पुलिस को दी. इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने मोबाइल नंबर 6367263657 की प्राथमिक जांच शुरू की.

ट्रूकॉलर पर दिखा नाम 'विक्रम यादव' : प्रारंभिक जांच में ट्रूकॉलर ऐप पर इस नंबर को विक्रम यादव के नाम से रजिस्टर पाया गया. हालांकि, यह साफ नहीं है कि यह नाम असली है या फर्जी. पुलिस अब इस दिशा में भी जांच कर रही है.

पुलिस की जांच तेज : पटना पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए धमकी देने वाले की पहचान और लोकेशन ट्रैक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. अधिकारियों के अनुसार, वे उस नंबर की सिम डिटेल, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और लोकेशन डेटा खंगाल रहे हैं. पुलिस मानती है कि मोबाइल की सटीक लोकेशन ही आरोपी तक पहुंचने की कुंजी हो सकती है.

''हमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को धमकी मिलने की सूचना मिली है और हम इसकी तकनीकी जांच कर रहे हैं.''- दीक्षा, सेंट्रल एसपी, पटना

अब तक नहीं मिली लिखित शिकायत : एसपी ने यह भी बताया कि अभी तक इस मामले में कोई औपचारिक लिखित शिकायत दर्ज नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि गंभीर जांच के लिए लिखित शिकायत अनिवार्य होती है. जैसे ही शिकायत मिलती है, पुलिस अगली कार्रवाई तेजी से करेगी.

कार्रवाई की तैयारी : फिलहाल पुलिस की प्राथमिकता धमकी देने वाले की पहचान और गिरफ्तारी है. टेक्निकल साक्ष्यों के आधार पर आरोपी का जल्द ही पता लगाया जा रहा है. हालांकि, औपचारिक शिकायत दर्ज न होने तक कानूनी प्रक्रिया पूरी तरह शुरू नहीं हो सकती.

पुलिस का खौफ खत्म : यह घटना एक बार फिर नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था और डिजिटल माध्यम से मिल रही धमकियों के प्रति पुलिस की तैयारियों पर प्रश्न खड़े करती है. अब निगाहें पटना पुलिस की जांच और संभावित गिरफ्तारी पर टिकी हैं.