Wednesday, January 15, 2025
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Madhya Pradesh: खराब रिजल्ट के डर से 14 बच्चे घर से भागकर पहुंचे भोपाल

Madhya Pradesh : रिजल्ट खराब होने पर बच्चे तनाव में आ जाते हैं और सिर्फ अपने बारे में सोचकर गलत कदम उठा लेते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया हैं। जहां परीक्षा में पेपर बिगड़ जाने और पैरेंट्स के डर से 14 बच्चे अपने घर से भागकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंच गए. इनमें मध्य प्रदेश के छह जिलों और छह राज्यों के बच्चे शामिल हैं. इस मामले में अच्छी बात यह हुई कि इन बच्चों की मुलाकात अच्छे लोगों से हुई, जिन्होंने इनको बाल कल्याण समिति को सौंप दिया. इनमें से 13 बच्चे 10वीं की परीक्षा देकर घर से भागे थे. वहीं एक बच्ची 9वीं की परीक्षा देकर भाग आई थी.

मध्य प्रदेश बाल कल्याण समिति के प्रमुख जागृति किरार के मुताबिक स्कूल में परीक्षा का पेपर बिगड़ने के कारण बच्चे घर से भागकर भोपाल पहुंचे थे. इनमें से 10 लड़कियां हैं. इनमें से किसी का गणित का पेपर बिगड़ा था तो किसी का सोशल साइंस का. घर से भागकर जब ये बच्चे भोपाल पहुंचे तो इनमें से कई को सड़क चलते राहगीरों ने पुलिस और जीआरपी के हवाले किया. ये बच्चे महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के रहने वाले हैं. वहीं मध्य प्रदेश के खंडवा, रीवा, मंडला, बारही, लखनादौ, पाटन और सिवनी से भागकर आए थे.

बाल कल्याण समिति ने इन सभी बच्चों की काउंसलिंग की. इस दौरान इन बच्चों को बताया गया कि परीक्षा में मिलने वाले अंक केवल नंबर भर हैं. वो जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है. उन्हें बताया गया कि जीवन में सफलता अगर प्रतियोगी परीक्षा और अच्छे अंकों से निर्धारित होती तो महात्मा गांधी और बिल गेट्स कभी सफल नहीं हो पाते. महात्मा गांधी औसत दर्जे के छात्र थे तो बिल गेट्स 10वीं फेल है और उनकी पहचान दुनिया के बड़े बिजनेसमैन के रूप में है.

काउंसलिंग के बाद परिजनों को सौंपा

काउंसलिंग के बाद उनके परिजनों को भोपाल बुलाकर बच्चों को सौंप दिया गया. इन बच्चों के परिजनों का कहना है कि उन्होंने उन पर कोई दबाव नहीं बनाया था. समिति ने संबंधित राज्यों और जिलों की बाल कल्याण समिति को पत्र लिखकर इन मामलों का फालोअप करने का अनुरोध किया है.

रिजल्ट आने से पहले अक्सर पैरेंट्स बच्चे के एडमिशन या इससे जुड़ी अन्य बातें करने लगते हैं। अगर इतना प्रतिशत आएगा तो इस कॉलेज में एडमिशन मिलेगा, इस तरह की बातें न करें। प्रतिशत के लिए न डाटें। रिजल्ट आने के बाद अगर वह खराब है या जैसा सोचा वैसा नहीं है तो बच्चे को विश्वास में लें और उसे समझाएं कि यहां से एक नई मंजिल उसका इंतजार कर रही है। रिजल्ट आने के बाद बच्चे के व्यवहार में हो रहे बदलावों पर भी पैरेंट्स को नजर रखनी चाहिए। क्योंकि रिजल्ट के बाद के कुछ घंटे बेहद संवेदनशील होते हैं। संभव है कि बच्चा इस मसले पर कोई बात न करना चाहता हो, जिससे कि वह मानसिक रूप से और परेशान हो जाए। ऐसे में बार-बार रिजल्ट की बात करना ठीक नहीं होगा।

खराब रिजल्ट आने पर बच्चे को लगता है कि वे माता-पिता की इच्छा को पूरी नहीं कर पाए। ऐसे में माता-पिता को उन्हें तनाव से निकालना चाहिए। ऐसे में पैरेंट्स को बच्चे पर हर पल नजर रखनी चाहिए। रिजल्ट से पहले बच्चों का तनाव दूर करने की कोशिश करें। रिजल्ट जारी होने की घोषणा के बाद या रिजल्ट जारी होने वाले दिन यदि बच्चे के व्यवहार में किसी तरह का गंभीर बदलाव नजर आए तो उसे इग्नोर कतई न करें। बच्चा अगर मजाक में भी कह रहा है कि रिजल्ट अच्छा नहीं आने पर वह आत्महत्या कर लेगा या घर नहीं आएगा तो इसे गंभीरता से लें और तुरंत उसे समझाएं। महान हस्तियों के उदाहरण देकर उन्हें समझाएं कि एक रिजल्ट अगर बुरा आ भी जाए तो घबराने की जरूरत नहीं है। इम्तिहान तो जिंदगीभर चलते रहेंगे।

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