Monday, February 24, 2025
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Mahabharat Facts : जानें क्या था रहस्य? दो पत्नियों के पास आए बिना पांच पुत्रों के पिता कैसे बन गए महाभारत के पांडु

Mahabharat Factsहस्तिनापुर के दो युवराज धृतराष्ट्र और पांडु थे. इनमें पांडु के बड़े भाई धृतराष्ट नेत्रहीन थे. इस कारण हस्तिनापुर के राजा पांडु बने. राजा पांडु की जब अकाल मृत्यु हुई तो बाद में धृतराष्ट को राज गद्दी मिली. 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार राजा पांडु की दो पत्नियां कुंती और माद्री थीं. एक बार वे अपनी दोनों पत्नियों के साथ शिकार करने के लिए जंगल में गए. वहां उन्होंने एक हिरण का जोड़ा देखा, जो परस्पर प्रणय कर रहा था. यह हिरण का जोड़ा ऋषि किंदम और उनकी पत्नी थे, जो हिरण रूप में एक-दूसरे के साथ सहवास कर रहे थे.

पांडु ने हिरण के जोड़े को देखते हुए तीर चला दिया. यह तीर हिरण के लगा तो ऋषि अपने स्वरूप में आ गए और मृत्यु से पहले उन्होंने पांडु से कहा कि हे राजन! तुम बहुत ही क्रूर हो. जिस प्रकार पत्नी के साथ रति क्रिया करते हुए मेरी मृत्यु हुई, उसी प्रकार तुम जब भी अपनी पत्नी के पास जाओगे तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी. 

श्राप के कारण जंगल में रहने लगे पांडु

ऋषि के कारण दिए गए श्राप से पांडु डर गए और उन्होंने मृत्यु के भय से अपनी पत्नियों के साथ संबंध नहीं बनाएं और जंगल में ही रहने लगे. उन्होंने अपनी पत्नियों से राजमहल वापस जाने का आदेश दिया, लेकिन उनकी पत्नियों ने उनसे अनुरोध किया कि वे उनके बिना नहीं रह सकती हैं. इस पर पांडु ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया और वे वासनाओं का त्यागकर अपनी पत्नियों के साथ वन में ही जीवन यापन करने लगे. 

पांडु ने कुंती से मांगी सहायता

पांडु को अपना वंश आगे न बढ़ा पाने के चिंता रहती थी. इससे व्यथित होकर एक बार उन्होंने कुंती से कहा कि मेरा जन्म लेना ही व्यर्थ है, मैं संतानहीन हूं और इस कारण मैं पितृऋण, ऋषिऋण, देवऋण, मनुष्यऋण से मुक्ति नहीं पा पाऊंगा. क्या तुम मेरी कोई सहायता कर सकती हो. इस पर कुंती ने पांडु से कहा कि हे आर्य! दुर्वासा ऋषि ने मुझे एक ऐसा मंत्र प्रदान किया है, जिससे मैं किसी भी देवता का आह्वाान करके मनोवांछित फल प्राप्त कर सकती हूं. हे राजन आप आज्ञा करें कि मैं किस देवता को बुलाऊं.

देवताओं का किया आह्वान

पांडु ने धर्म को आमंत्रित करने का आदेश दिया. कुंती ने धर्म को आमंत्रित कर पुत्र की कामना की. इसपर धर्म ने उन्हें पुत्र प्रदान किया, जिसका नाम युधिष्ठिर रखा गया. इसके कुछ समय बाद पांडु ने कुंती को वायुदेव और इंद्रदेव को आमंत्रित करने की आज्ञा दी. इस कारण वायुदेव से भीम और इंद्र से कुंती को अर्जुन की प्राप्ति हुई. इसके पहले विवाह से पूर्व भी कुंती को सूर्यदेव से एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी, जिसका नाम कर्ण था. 

ऐसे बने पांच पुत्रों के पिता

कुंती ने इस मंत्र की दीक्षा बाद में माद्री को भी दी. इससे माद्री ने अश्विनीकुमारों को आमंत्रित किया. इससे माद्री को नकुल और सहदेव की प्राप्ति हुई. इस प्रकार पांडु पांच पुत्रों के पिता बन गए. 

ऐसे हुई पांडु की मृत्यु

एक दिन पांडु अपनी पत्नी माद्री के साथ नदी के तट पर भ्रमण कर रगे थे. एक हवा के झोंके से माद्री का वस्त्र उड़ गया और पांडु आसक्त हो गए और माद्री के करीब आ गए. ऐसा करते ही ऋषि के श्राप के कारण उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के साथ ही माद्री भी उनके साथ सती हो गईं. ऐसे में पांचों पुत्रों का पालन कुंती ने ही किया. 

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