Tuesday, April 29, 2025
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2019 से अब तक दोगुना हुआ सोना, फिर भी Akshaya Tritiya पर दिखा निवेशकों का भरोसा

निवेशकों के पोर्टफोलियो में सोना पिछले एक साल में खूब चमका है। 10 मई 2024 से अब तक सोने ने 30% से ज्यादा का रिटर्न दिया है। अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) नजदीक आने के साथ ही इस बेशकीमती पीली धातु का आकर्षण और भी मजबूत बना हुआ है। हालांकि ऊंची कीमतों के चलते ग्राहकों के रुझान में बदलाव देखा जा रहा है।

सोने के भाव ने बनाया रिकॉर्ड

22 अप्रैल 2025 को सोने की कीमत पहली बार 10 ग्राम के लिए ₹1 लाख के पार चली गई, जिसका मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और महंगाई का लगातार बना हुआ दबाव रहा। 24 अप्रैल 2025 तक प्रमुख रिटेलर्स पर 22 कैरेट सोने की कीमतें इस प्रकार रहीं:​

  • मालाबार गोल्ड: ₹7,945 प्रति ग्राम
  • जोयालुक्कास: ₹7,945 प्रति ग्राम
  • कल्याण ज्वेलर्स: ₹7,945 प्रति ग्राम
  • तनिष्क: ₹7,990 प्रति ग्राम

इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म वेंचुरा (Ventura) के अनुसार, इस तेजी ने पिछले अक्षय तृतीया (2024) के मुकाबले सोने की कीमतों में 30% की वृद्धि दर्ज की है। पिछले अक्षय तृतीया पर सोने का भाव ₹73,240 प्रति 10 ग्राम था। वहीं, 2019 की तुलना में कीमतों में लगभग 200% की बढ़ोतरी हुई है। 2019 में सोना ₹31,729 प्रति 10 ग्राम पर उपलब्ध था।

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सोने की बिक्री वॉल्यूम में गिरावट की आशंका

वेंचुरा की रिपोर्ट के अनुसार, “भौगोलिक रूप से देखा जाए तो अक्षय तृतीया पर भारत में सोने की खपत का सबसे बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत से आता है, जो कुल मांग में 40% का योगदान देता है। इसके बाद पश्चिम भारत का 25%, पूर्व भारत का 20% और उत्तर भारत का 10% योगदान रहता है। उत्तर भारत के उपभोक्ता आमतौर पर धनतेरस के मौके पर सोने की खरीदारी को प्राथमिकता देते हैं।”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के चलते इस अक्षय तृतीया पर सोने की बिक्री वॉल्यूम में गिरावट आ सकती है। हालांकि कुल रेवेन्यू पिछले साल के समान स्तर पर रहने की उम्मीद है।”

ग्राहकों का बदल रहा व्यवहार

सोने की ऊंची कीमतों का असर ग्राहकों की खरीदारी आदतों पर साफ दिख रहा है। मई, जून और जुलाई में होने वाली शादियों के लिए कई परिवार अब भारी गहनों की बजाय हल्के गहनों का विकल्प चुन रहे हैं। पहले जहां परंपरागत रूप से 2 सोवरन (सोने के सिक्के) खरीदे जाते थे, अब लोग 1 से 1.5 सोवरन तक की खरीदारी कर रहे हैं। इसके साथ ही 14 कैरेट और 18 कैरेट सोने की मांग भी बढ़ रही है, जो किफायती होने के साथ-साथ टिकाऊ भी माना जाता है।

बदलते रुझान को देखते हुए ज्वेलर्स भी नई रणनीति अपना रहे हैं। वे प्रमोशनल डील, एडवांस बुकिंग और एक्सचेंज स्कीम्स जैसी सुविधाएं पेश कर रहे हैं ताकि ऊंची कीमतों के बावजूद ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके।

रिपोर्ट के अनुसार, ” सोने की रिकॉर्ड हाई कीमतों के कारण अब शादी के मौके पर ग्राहक सोने की बजाय नकद को उपहार के रूप में देना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। साथ ही, वे ज्वेलर्स द्वारा पेश की गई मासिक किस्त योजनाओं के जरिए सोना खरीदने का विकल्प भी अपना रहे हैं। ज्वेलर्स के एक्सचेंज ऑफर्स के जरिए ग्राहक अपने पुराने सोने के गहनों को नए डिजाइन के गहनों में अपग्रेड कर पा रहे हैं। 14 कैरेट और 18 कैरेट शुद्धता के विकल्प अब ग्राहकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं, जो टिकाऊपन और स्टाइल के साथ किफायती भी हैं। इसलिए हल्के गहनों की ओर रुझान बढ़ रहा है। इसके अलावा, स्टडेड ज्वेलरी, नेचुरल डायमंड्स और जेमस्टोन ज्वेलरी में भी ग्राहकों की दिलचस्पी बढ़ती देखी जा रही है।”

इस बीच सोने में निवेश पर भी ग्राहकों का फोकस बढ़ा है। कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद लोग सुरक्षित लॉन्ग टर्म एसेट के रूप में सोने के बिस्किट और सिक्कों में निवेश करना जारी रखे हुए हैं। वहीं, गहनों की खरीदारी अब ज्यादातर जरूरत के आधार पर या त्योहारों पर ही की जा रही है।

अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी की परंपरा

इस साल अक्षय तृतीया 29 अप्रैल की शाम 5:31 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल दोपहर 2:12 बजे तक मनाई जाएगी। यह पर्व सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ा है और इसे अंतहीन समृद्धि और सफलता लाने वाला माना जाता है। अक्षय तृतीया को फाइनेंशियल निर्णय लेने, नए काम शुरू करने और खासतौर पर सोना खरीदने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। खरीदारी और पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त 30 अप्रैल को सुबह 5:40 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक रहेगा। परंपरागत रूप से, इस दिन सोना खरीदना केवल एक निवेश नहीं, बल्कि धन और सौभाग्य का स्वागत करने का प्रतीकात्मक कार्य माना जाता है।

सोने की ऊंची कीमतों से ब्रिकी घटेगी! रेवेन्यू नहीं

सोने पर शानदार रिटर्न के बावजूद, इस साल रिकॉर्ड हाई कीमतों के चलते सोने की बिक्री की मात्रा पर दबाव पड़ने की संभावना है। उद्योग से जुड़े एक्सपर्ट्स
का मानना है कि खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ताओं के बीच खरीदी गई कुल मात्रा में गिरावट देखी जा सकती है, जहां लोग या तो अपनी खरीदारी का आकार छोटा कर सकते हैं या हल्के गहनों और सिक्कों की ओर रुख कर सकते हैं। हालांकि, ज्वेलर्स अब भी आशावादी हैं। एक मुंबई स्थित बुलियन डीलर ने कहा, “भले ही वॉल्यूम थोड़ा घट जाए, लेकिन ऊंची कीमतों के चलते कुल रेवेन्यू पिछले साल के समान स्तर पर रह सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “कई ग्राहक परंपरा निभाने के लिए प्रतीकात्मक रूप से 1 या 2 ग्राम सोने की खरीदारी जरूर करेंगे।”

वैश्विक स्तर पर जारी आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशक भी अब एक बार फिर से सोने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिन्होंने पिछले अक्षय तृतीया या उससे पहले सोने में निवेश किया था, उनके लिए यह निवेश वाकई ‘गोल्डन रिटर्न’ लेकर आया है।

रिपोर्ट के अनुसार, “ग्राहक अब सोने की कीमतों में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं और 5-8% के प्रीमियम में कमी आने की आशा कर रहे हैं। हालांकि इस त्योहारी मौके पर प्रतीकात्मक खरीदारी जरूर की जाएगी। अक्षय तृतीया के बाद अप्रैल से जुलाई के ऑफ-सीजन में, जब मांग कम होती है तब ज्वेलर्स ग्राहकों को आकर्षित करने और स्टॉक क्लियर करने के लिए डिस्काउंट ऑफर करते हैं। ऐसे में इस समय खरीदारी करने वाले ग्राहकों के लिए सौदेबाजी का अच्छा मौका रहता है, क्योंकि सीजनल डिमांड कम होने से कीमतें भी अपेक्षाकृत नीचे होती हैं।”

सोने में जारी रहेगी तेजी या आएगी गिरावट?

वेंचुरा का मानना है कि अगर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है या वैश्विक आर्थिक हालात बिगड़ते हैं, तो सोने की कीमतों में बड़ी तेजी देखने को मिल सकती है। अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती भी सोने की कीमतों में तेजी का एक प्रमुख ट्रिगर बन सकती है। वेंचुरा के मुताबिक, अगले अक्षय तृतीया (19 अप्रैल 2026) तक सोने की कीमतें $3,600–$3,700 प्रति औंस या ₹1,01,000–₹1,04,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती हैं। ये अनुमान इस बात को दर्शाते हैं कि अनिश्चितता के दौर में सोना सुरक्षित निवेश विकल्प बना रहता है।

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि सोने की कीमतों के बढ़ने का रास्ता बिना जोखिम के नहीं है। अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती को टालता है, केंद्रीय बैंकों की खरीद में सुस्ती आती है या अमेरिका की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करती है, तो सोने की कीमतों में अस्थायी गिरावट आ सकती है। ऐसे हालात में सोना $3,000–$2,900 प्रति औंस या ₹90,000–₹87,000 प्रति 10 ग्राम तक फिसल सकता है।

वेंचुरा रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा स्तरों से दिसंबर 2025 तक सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है और बाजार अस्थिर रहेगा। इस दौरान सोने की कीमतें $2,900 से $3,300 प्रति औंस या ₹86,000 से ₹96,000 प्रति 10 ग्राम के दायरे में रह सकती हैं।

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