भारत-UK मुक्त व्यापार समझौते पर 24 जुलाई को लगेगी मुहर, व्यापार में 25 अरब पाउंड की वृद्धि संभावित

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व्यापार : भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर 24 जुलाई को लंदन में हस्ताक्षर होंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद रहेंगे।

दिल्ली में ब्रिटेन उच्चायोग की एक अधिकारी ने बताया कि समझौता होने के बाद दोनों देशों के व्यापार में सालाना 25.5 अरब पाउंड (2.97 लाख करोड़ रुपये) का उछाल आने की उम्मीद है। दोनों देशों ने इसी वर्ष 6 मई को एफटीए वार्ता पूरी होने की घोषणा की थी। व्यापार समझौते में श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे चमड़ा, जूते और कपड़ों के निर्यात पर कर हटाने, जबकि ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों का आयात सस्ता करने का प्रस्ताव है। पक्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करके 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना चाहते हैं। पीएम मोदी बुधवार से ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य व्यापार, निवेश और रक्षा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है। एफटीए पर हस्ताक्षर होने के बाद, इसे लागू होने से पहले ब्रिटिश संसद और भारत के मंत्रिमंडल की मंजूरी जरूरी होगी। समझौते पर हस्ताक्षर के बाद इसे लागू होने में लगभग एक साल का समय लगेगा।

वार्ता के लिए अगस्त में आएगी अमेरिकी टीम

भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अगले दौर की वार्ता के लिए अमेरिकी टीम अगस्त में भारत का दौरा करेगी। इससे पहले भारत के मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय टीम ने पिछले हफ्ते वाशिंगटन में समझौते के लिए पांचवें दौर की वार्ता पूरी की। अमेरिका की ओर से दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच वार्ता का हिस्सा थे।

90 फीसदी सामान पर टैरिफ में कटौती : शॉटबोल्ट

दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग में दक्षिण एशिया के लिए उप व्यापार आयुक्त, अन्ना शॉटबोल्ट ने कहा, भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में सालाना 25.5 अरब पाउंड की वृद्धि का अनुमान है। उन्होंने कहा, मुक्त व्यापार समझौते के तहत, दोनों देशों के बीच व्यापार किए जाने वाले 90 प्रतिशत सामान पर टैरिफ में कटौती हो जाएगी। शॉटबोल्ट ने कहा, हालांकि, यह केवल टैरिफ के बारे में नहीं है। इससे कई उद्योगों को लाभ होगा। बौद्धिक संपदा वाली कंपनियों को मजबूत कॉपीराइट सुरक्षा मिलेगी और सेवा क्षेत्र को भी लाभ होगा। दोनों पक्षों के श्रमिकों की भी मदद होगी, जिससे अधिक पारदर्शिता और निश्चितता आएगी। उन्होंने हाल ही में नई दिल्ली में उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई के एक कार्यक्रम में यह बातें कहीं।