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ICICI Bank समेत इन बैंकों ने महंगा किया लोन, अब चुकानी होगी ज्यादा EMI

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देश के प्रमुख बैंकों ने अपने लोन की दरों में बढ़ोतरी कर अपने ग्राहकों को झटका दिया है. पंजाब नेशनल बैंक (PNB Bank), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने होम लोन समेत सभी तरह के कर्ज को महंगा कर दिया है. इस बढ़ोतरी के बाद लोगों की EMI बढ़ जाएगी. इन तीनों बैंकों ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में इजाफा किया है. बता दें होम लोन और ऑटो लोन समेत ज्यादातर कंज्यूमर लोन इसी MCLR से जुड़े होते हैं.

आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने अपने MCLR में बदलाव किया है. बैंकों वेबसाइटों के अनुसार, नई ब्याज दरें एक अगस्त से प्रभावी हो चुकी हैं.

ICICI Bank ने कितनी की बढ़ोतरी

आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) ने सभी अवधि के लोन के लिए MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट (BPS) का इजाफा किया है. बैंक की वेबसाइट के अनुसार, एक महीने की MCLR दर 8.35 फीसदी बढ़कर 8.40 फीसदी हो गई. तीन महीने और छह महीने के लिए MCLR बढ़कर 8.45 और 8.80 फीसदी पर पहुंच गया है. एक साल के लिए MCLR को 8.85 फीसदी से बढ़ाकर बैंक ने 8.90 फीसदी कर दिया है.

BOI ने बढ़ाए MCLR

बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने चुनिंदा अवधि के कर्ज पर MCLR में इजाफा किया है. बैंक ने ओवरनाइट लोन के लिए MCLR को 7.95 फीसदी और एक महीने के लिए 8.15 फीसदी कर दिया है. तीन महीने और छह महीने के लिए MCLR की दर में क्रमश: 8.30 फीसदी औऱ 8.50 फीसदी रख गई है. बैंक ने एक साल से लिए MCLR को 8.70 फीसदी और तीन साल के लिए 8.90 फीसदी तय किया है.

PNB Bank ने किया इतना इजाफा

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने ओवरनाइट MCLR को 8.10 फीसदी कर दिया है. एक महीने के टेन्योर के लिए MCLR को 8.20 फीसदी बैंक ने रखा है. वहीं, तीन, महीने और छह महीने का MCLR अब 8.30 फीसदी और 8.50 फीसदी है. एक साल के लिए MCLR अब 8.60 फीसदी और तीन साल के लिए 8.90 फीसदी है.

क्या होता है MCLR?

मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट्स या एमसीएलआर दरअसल, RBI द्वारा लागू किया गया एक बेंचमार्क होता है, जिसके आधार पर तमाम बैंक लोन के लिए अपनी ब्याज दरें तय करते हैं. जबकि Repo Rate वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है.

RBI की ओर से रेपो रेट के कम होने से बैंको को कर्ज सस्ता मिलता है और वे MCLR में कटौती कर लोन की EMI घटा देते हैं. वहीं जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों को कर्ज आरबीआई से महंगा मिलता है, जिसके चलते उन्हें एमसीएलआर में बढ़ोतरी का फैसला लेना पड़ता है और ग्राहक पर बोझ बढ़ जाता है.

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