Home धर्म Chaitra Navratri : नवरात्रि में क्यों बोते हैं जवारे, कब करें इनका...

Chaitra Navratri : नवरात्रि में क्यों बोते हैं जवारे, कब करें इनका विसर्जन? जानें शुभ मुहूर्त और विधि..

0

हर साल चैत्र शुक्ल (Chaitra Navratri ) प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इसे बड़ी नवरात्रि कहते हैं। इस दौरान अनेक परंपराओं का पालन भी किया जाता है।हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहारों को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त अपने घरों में और बड़े-बड़े पंडालों में माता दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना करते हैं। इसके साथ ही नवरात्रि के दिनों में लोग जवारे बोते हैं। इनके बिना माता की पूजा अधूरी मानी जाती है।

नवरात्रि के पहले दिन से ही जवारे बोए जाते हैं। नवरात्रि में जवारे बोने के पीछे मान्यता है कि धरती की रचना के बाद जो सबसे पहली फसल उगाई गई थी, वह जौ थी।नवरात्रि के पहले दिन जवारे बोए जाते हैं, जिन्हें नवरात्रि समापन होने के बाद यानी चैत्र शुक्ल दशमी तिथि (Jawara Visarjan 2023) को नदी या किसी अन्य जल स्त्रोत में प्रवाहित कर दिया जाता है। इस बार ये तिथि 31 मार्च, शुक्रवार को है।

नवरात्रि में क्यों बोते हैं जवारे?

नवरात्रि में जौ या जवारे बोने की परंपरा काफी प्राचीन है। ये परंपरा कैसे शुरू हुई ये तो किसी को नहीं पता, लेकिन इसके पीछे गहरा मनोविज्ञान है। उसके अनुसार सृष्टि के आरंभ में जौ ही सबसे पहली फसल थी। इस फसल को हम देवी मां को अर्पित करते हैं और नवरात्रि समापन के बाद नदी में प्रवाहित कर देते हैं। आयुर्वेद में भी जवारों का विशेष महत्व बताया गया है। आयुर्वेद में जवारों को औषधि माना गया है।

ये हैं जवारे विसर्जन का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 30 मार्च, गुरुवार की रात 11.30 से शुरू होकर 31 मार्च, शुक्रवार की रात 01.58 तक रहेगी। 31 मार्च को ही जवारे विसर्जन किए जाएंगे। इस दिन पुष्य नक्षत्र दिनभर रहेगा। इस नक्षत्र में किए गए सभी शुभ कार्यों का फल कई गुना होकर मिलता है। जानें जवारे विसर्जन का मुहूर्त.
अभिजीत मुहूर्त – 12:06 PM – 12:55 PM
अमृत काल – 06:46 PM – 08:33 PM

इस विधि से करें जवारे विसर्जन

31 मार्च, शुक्रवार की सुबह सबसे पहले स्नान आदि करें और इसके बाद देवी मां की पूजा करें। देवी को गंध, चावल, फूल, आदि चढ़ाएं और ये मंत्र बोलें-
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।

ये मंत्र बोलने के बाद जवारों की भी पूजा करें। चावल, फूल, कुमकुम आदि चीजें चढ़ाएं और इन जवारों को ससम्मान नदी, तालाब या अन्य किसी जल स्त्रोत तक लेकर जाएं। हाथ में चावल व फूल लेकर जवारों का इस मंत्र के साथ विसर्जन करें-

गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।

जवारे विसर्जन करने के बाद माता से घर की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें और प्रसन्नता पूर्वक घर लौट आएं।

 

Exit mobile version