Pavitra Ekadashi 2023 : पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित हैं। माताएं अपने संतान के सुखी जीवन के लिए और संतान की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है… ऐसी मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से साधक को सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य मिलता है पुत्रदा एकादशी के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने से विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं। हर साल सावन महीने के दौरान शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन श्रावण पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। यह एकादशी बेहद ही शुभ मानी जाती है। सावन पुत्रदा एकादशी के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने और व्रत रखने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है। इस साल 27 अगस्त 2023 के दिन सावन की पुत्रदा एकादशी मानी जाएगी। इसलिए आइए जानते हैं सावन पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि और महत्व-
महत्व
सनातन धर्म में एकादशी बेहद ही महत्वपूर्णमानी जाती है। वहीं, सावन के शुभ महीने में पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान की इच्छा पूरी होती हैसाथ ही जीवन के कई कष्ट भी दूर हो जाते हैं। कई लोग अपने संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए भी यह व्रत रखतेहैं। विधिवत और सच्चेमन के साथ इस दिन भगवान विष्णुकी उपासना करने और व्रत रखने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हो जाती है।
व्रत की पूजा विधि
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक इस दिन सुबह उठकर स्नान करके के बाद भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए। इसके साथ ही इस व्रत को एकादशी से लेकर दशमी तक रखा जाता है। सावन पुत्रदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना बेहद शुभदायक रहेगा। स्नान करने के बाद पीलेरंग के वस्त्र धारण करें। फिर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें। इस दिन श्री हरि विष्णु को फूल, फल, मिठाई, आंवला चढ़ाए। प्रभु को पीला चंदन लगाएं, पीले पुष्प चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं। वहीं, भोग में तुलसी दल रखना ना भूलें। सावन पुत्रदा एकादशी पर संतान सुख के लिए निर्जला व्रत करना चाहिए और भगवान की उपासना भक्ति-भाव से करनी चाहिए।
पूजन के समय तुलसी और तिल का इस्तेमाल करना शुभ रहेगा। विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ एकादशी के दिन करना बेहद ही लाभदायक माना जाता है। भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें और आरती करें। इस व्रत मेंअन्न का ग्रहण नहीं किया जाता है। वहीं, संध्या के समय पूजा करने के बाद फल खा सकते हैं। सावन पुत्रदा एकादशी के दिन रात में जागरण या भजन कीर्तन करना बेहद शुभ माना जाता है। वहीं द्वादशी तिथि के दिन ब्राह्मण को भोज करा सकते हैं। इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है।