Laxmi : भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन गुरुवार व्रत कथा का पाठ करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए पीला वस्त्र पहनकर ही भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीले रंग की मिठाई का ही भोग लगाएं.
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को लेकर अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि एक बाद माता लक्ष्मी के अपना वादा ना निभाने पर भगवान विष्णु की आंखों में आंसू आ गए थे. क्या था वो वादा आइए जानते हैं…
भगवान विष्णु ने रखी थी शर्त
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार विष्णु भगवान पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकले. देवी लक्ष्मी ने भी उनके साथ पृथ्वी लोक पर जाने की जिद की, तब भगवान विष्णु ने उनके सामने एक शर्त रखी. उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर भ्रमण के दौरान वह उत्तर दिशा की तरफ नहीं देखेंगीं. लक्ष्मी जी ने शर्त मान ली और वह उनके साथ पृथ्वी लोक पर भ्रमण के लिए चल दीं.
पृथ्वी लोक पहुंचते ही शर्त भूलीं माता लक्ष्मी
जब दोनों धरती पर घूम रहे थे तभी देवी लक्ष्मी की नजर उत्तर दिशा पर पड़ी. वहां इतनी हरियाली थी कि लक्ष्मी अपने आप को उस ओर देखने से रोक नहीं सकी. वह उत्तर दिशा में चल दीं और वहां एक बगीचे से फूल तोड़ लिया. फूल तोड़कर वह विष्णु जी के पास आईं, तभी विष्णु भगवान उन्हें देखकर रोने लगे. उसी वक्त लक्ष्मी जी को अपनी शर्त याद आई और उन्हें अपनी लगती का ऐहसास हुआ. उन्होंने प्रभु से माफी मांगी लेकिन प्रभु ने कहा कि बिना किसी से पूछे उसकी वस्तु को छूना अपराध माना जाता है ऐसे में तुम्हें केवल बगीचे का माली ही माफ कर सकता है. उन्होंने लक्ष्मी जी से कहा कि उन्हें माली के घर दासी बनकर रहना होगा.
माता ने माना प्रभु का आदेश
प्रभु के आदेशानुसार, लक्ष्मी जी ने एक गरीब स्त्री का रूप धारण किया और माली के घर चली गईं. माली ने उनसे कई काम करवाए, लेकिन जब उसे पता चला कि वह तो मां लक्ष्मी हैं तो वह उनके चरणों में गिर पड़ा और उनसे माफी मांगने लगा. तब माता ने माली से कहा कि जो कुछ भी हुआ वह उनका भाग्य था, इसमें उसका कोई दोष नहीं है. इसके बाद माता लक्ष्मी ने माली को आजीवन सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया और विष्णु लोक को लौट गईं.