Longest Day: 21 जून का दिन सालभर का सबसे लंबा दिन होता है, जिसमें दिन 12 नहीं बल्कि 14 घंटे का होता है। इस दिन एक समय ऐसा भी आता है, जब आपकी परछाई भी साथ छोड़ देती है। वैसे तो एक दिन में 24 घंटे और साल में 365 दिन होते हैं, लेकिन क्या आपको पता है साल में ऐसे चार दिन हैं, जिनकी खासियत अलग होती है। वे चार दिन 21 मार्च, 21 जून, 23 सितंबर और 22 दिसंबर होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 21 जून साल का सबसे लंबा दिन होता है और रात छोटी होती है। यह दिन पृथ्वी का सबसे लंबा दिन होता है।
आपकी परछाई साथ छोड़ देती
ऐसा कहा जाता है कि 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति होती है। इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में साल का सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है। इस दौरान उत्तरी गोलार्द्ध के देश सूरज के सबसे नजदीक होते हैं। सूर्य कर्क रेखा पर ऊपर की ओर चमकता है। ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि सामान्य दिनों दिन और रात बराबर होते हैं। आमतौर पर ये 12-12 घंटे के होते हैं। लेकिन 21 दिसंबर के बाद रातें छोटी होने लगती हैं और दिन बड़े होने लगते हैं। वहीं 21 जून का दिन सबसे बड़ा होता है। इसके बाद ये घटना शुरू होता है। इसी तरह 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन बताया गया है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में मौजूद सभी देशों में दिन लंबा और रात छोटी होती है। खास बात या है कि, इस दिन ऐसा पल ऐसा भी आता है जब आपकी परछाई साथ छोड़ देती है।
21 दिसंबर के बाद रात छोटी होने लगती है
सामान्य दिनों तो 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है। वहीं 21 दिसंबर के बाद रात छोटी होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं। जबकि 21 जून का दिन सबसे लंबा होता है।इस दिन 12 घंटे की जगह 14 घंटे का दिन होता है। इसके बाद दिन घटना शुरू हो जाएगा। वैसे अभी तक एक बार 1975 में 22 जून को साल का सबसे बड़ा दिन था। अब ऐसा 2023 में होगा।
ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि सालभर में 365 दिन होते है, जिसमें चार दिन को छोड़ दें तो बाकि के सभी दिन सामान्य ही होते हैं। इन चार दिनों में 21 मार्च, 21 जून, 23 सितंबर और 22 दिसंबर का दिन शामिल है। 21 जून को सबसे लंबा दिन होता है।खास बात ये है कि इस दिन दोपहर में एक ऐसा समय आता है जब परछाई भी मनुष्य और दूसरे जीवित प्राणियों का साथ छोड़ देती है।
21 जून के बाद दिन की अवधि घटने लगती
ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि पृथ्वी की परिक्रमा के कारण 21 जून के बाद दिन की अवधि घटने लगती है और रात की अवधि बढ़ने लगती है। फिर 21 सितंबर को ऐसा समय आता है, जब दिन और रात की अवधि बराबर हो जाती है। इसके बाद 21 सितंबर से रात लंबी होने लगती है और दिन की अवधि घटने लगती है। 22 दिसंबर को एक उत्तरी गोलार्ध में रात सबसे लंबी हो जाती है और दिन सबसे छोटा हो जाता है। इसके बाद फिर 21 मार्च को सूर्य विषुवत रेखा के ऊपर होता है और इस दिन फिर से दिन और रात की अवधि एक बराबर हो जाती है।
ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि पृथ्वी के अपने अक्ष में घूमने के कारण दिन और रात होते हैं। साथ ही समय घटता बढ़ता रहता है. यदि धरती न होती तो सूर्य के तरफ वाला हिस्सा हमेशा सूर्य के प्रकाश में रहता और दूसरी तरफ का हिस्सा अंधेरे में डूबा रहता। इसलिए 21 जून का दिन सबसे बड़ा होता है।