नाग पंचमी पर रोटी बनाना राहु को देता है आमंत्रण, जानें इस दिन क्यों नहीं गर्म करते तवा?

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सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 29 जुलाई को है. नाग पंचमी हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष के अनुसार अत्यंत पवित्र और गूढ़ रहस्य वाला पर्व है. नाग पंचमी राहु और केतु से संबंधित नाग दोष, कालसर्प दोष, आदि के निवारण के लिए अत्यंत शुभ दिन है. ज्योतिष शास्त्र में नाग पंचमी के दिन का महत्व बताते हुए कुछ विशेष नियम के बारे में भी बताए गए हैं. इन नियमों का सही से पालन नहीं किया जाए तो कई तरह के दोष लग सकते हैं, जैसे नाग पंचमी के दिन रोटी बनाना . आइए जानते हैं नाग पंचमी के दिन रोटी क्यों नहीं बनानी चाहिए…

राहु का प्रतीक है तवा
नाग पंचमी पर रोटी नहीं बनाने की परंपरा एक धार्मिक मान्यता से जुड़ी हुई है. हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और रोटी बनाना वर्जित माना जाता है क्योंकि इस दिन तवे का या किसी भी लोहे की चीज का इस्तेमाल करना अशुभ माना गया है. रोटी बनाने वाला तवा सांप के फन का प्रतिरूप होता है और तवा राहु का भी प्रतीक माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में इसलिए नाग पंचमी के दिन रोटी बनाना अशुभ बताया गया है.

इसलिए नहीं बनाई जाती नाग पंचमी पर रोटी
नाग पंचमी के रोटी बनाने से जीवन में राहु का प्रभाव बढ़ जाता है. नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने पर राहु केतु से संबंधित नाग दोष, कालसर्प दोष से राहत मिलती है. लेकिन इस दिन अगर आप रोटी बनाते हैं तो नाग देवता आपसे नाराज भी हो सकते हैं, ऐसा करने से परिवार में कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं और पर्सनल व प्रफेशनल लाइफ में कोई ना कोई परेशानी बनी रहती है. हालांकि नाग पंचमी के दिन हलवा पूरी खाना बहुत अच्छा माना जाता है.

नाग पंचमी और राहु का संबंध
राहु एक छाया ग्रह है, जिसका संबंध भूत, पिशाच, भ्रम और सर्प दोष से है. ज्योतिषीय दृष्टि से, नाग (सर्प) राहु के प्रतीक हैं. अतः नाग पंचमी का दिन राहु की शांति और प्रसन्नता के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है. तवे पर रोटी बनाना, विशेषकर इस दिन, राहु तत्व को सक्रिय करता है, जिससे राहु उग्र हो सकता है. तवे पर रोटी बनाने में अग्नि, लोहा और अन्न ये तीनों राहु के प्रिय माध्यम हैं. राहु वैसे ही अकारण क्रोध और भ्रम फैलाने वाला ग्रह है. अगर इस दिन अन्न, अग्नि और उसका रंग (काला) एक साथ देते हैं, तो यह राहु को आमंत्रण देने जैसा होता है.