Monday, February 24, 2025
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पूजा में घण्टी के नियम: पूजा के दौरान क्यों बजाई जाती हैं घंटी, जानें ये जरूरी बातें

Worship bell: मंदिर में घंटा हो या घर में पूजा में घंटी बजाना हो इसके बिना पूजा-पाठ पूरा नहीं होता है। हिंदू सनातन धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। सनातन परंपराओं में पूजा के दौरान घंटी बजाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

शास्त्रों के अनुसार घंटी बजाकर पूजा करते हुए भगवान को जगाया जाता है। इसलिए पूजा की अन्य विधियों की तरह घंटी भी जरूरी होती है। लेकिन पूजा के दौरान घंटी के प्रयोग से लेकर कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन पूजा के दौरान जरूर करना चाहिए। तभी पूजा सफल मानी जाती है। जानते हैं पूजा की घंटी और इससे जुड़े नियमों के बारे में।

गरुड़ घंटी

हिंदू धर्म के अनुसार सृष्टि की रचना जिस नाद से हुई है वह इसी गरुड़ घंटी से निकलता है। लिहाजा गरुड़ घंटी को बहुत महत्व दिया गया है। पूजा-पाठ में बजाई जाने वाली घंटी को गरुड़ घंटी कहा जाता है। हिंदू धर्म में गरुड़ देवता को भगवान विष्णु का वाहन बताया गया है। घंटी में गरुड़ देव का चित्र अंकित होने के पीछे यह वजह है कि वे भगवान विष्णु के वाहन के रूप में भक्तों का संदेश भगवान तक पहुंचाते हैं। इसलिए गरुड़ घंटी बजाने से प्रार्थना भगवान विष्णु तक पहुंचती है और मनोकामना पूरी होती है। यह भी माना जाता है कि गरुड़ घंटी बजाने से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।

मंदिर से लेकर घर तक में उपयोग होने वाले घंटा-घंटी 4 प्रकार से होते हैं:-

घंटे या घंटियों की बात करें तो मंदिर से लेकर घर तक में उपयोग होने वाले घंटे या घंटी 4 प्रकार के होते हैं। घंटा-घंटी के ये 4 प्रकार- गरुण घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और घंटा हैं।

गरुड़ घंटी सबसे छोटी होती है, जिसे हाथ से बजाया जा सकता है।

द्वार घंटी या घंटा मंदिरों के द्वार पर लटकाया जाता है, ये छोटे या बड़े दोनों प्रकार के होते हैं।

हाथ घंटी पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है। इसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोक कर बजाते हैं।

घंटा बहुत बड़ा होता है, इसकी लंबाई-चौड़ाई कम से कम 5 फुट होती है और इसे बजाने पर आवाज कई किलोमीटर दूर तक जाती है।

घंटी बजाने के नियम-

घंटी बजाने के कई नियम हैं। इसमें सबसे जरूरी नियम है कि घंटी को जोर से कभी नहीं बजाना चाहिए। मंदिर में प्रवेश करते समय आवश्यक रूप से घंटी बजाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश के समय घंटी बजाने से मौजूद देवी-देवताओं में चेतना जागृत होती है।  अगर आप पूजा की नियत से मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं तो ऐसी परिस्थिति में जोर से घंटी बजाना आपके अंदर मौजूद भक्ति भाव को नाश कर सकता है। घंटी को लगातार नहीं बजाना चाहिए एक बार में दो से तीन बार ही घंटी बजानी चाहिए।

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