भोपाल। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का फैसला किया है। वहां मदरसों के सर्वे का काम शुरू भी हो गया है, जिसका विरोध भी किया जा रहा है। मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहां मदरसे भगवान भरोसे चल रहे है। प्रदेश में मदरसों की वास्तविक संख्या कितनी है, वहां बच्चों को क्या तालीम दी जा रही है, बच्चों की संख्या कितनी है आदि का सरकार के पास कोई लेखा-जोखा नहीं है। इसकी वजह यह है कि प्रदेश में मदरसा संचालित करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य नहीं है। मदरसा संचालक की मर्जी हो तो वह रजिस्टे्रशन कराए और चाहे तो रजिस्ट्रेशन न कराए। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड मदरसों की संख्या 2689 है। इनमें से प्रत्येक मदरसे को प्रदेश सरकार की ओर से सालाना 25 हजार रुपए की ग्रांट दी जाती है। इनमें 1600 मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र से भी अनुदान मिलता है। रजिस्टर्ड मदरसों का हर तीन साल में नवीनीकरण कराना अनिवार्य है। मजेदार बात यह है कि वर्ष 2019 से प्रदेश में मदरसों के रजिस्ट्रेशन का कार्य बंद है, ऐसे में कोई मदरसा संचालक चाहकर भी अपने मदरसे का रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकता।
वर्ष 2019 से प्रदेश में मदरसों के रजिस्ट्रेशन का कार्य बंद है
गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में किस तरह की तालीम दे रहे हैं?
उन मदरसों के संचालन के लिए फंडिंग कहां से हो रही है?
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसे परेशानी का सबब हैं। सरकार के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में बच्चों को किस तरह की तालीम दी जा रही है और उन मदरसों का संचालन करने के लिए फंडिंग कहां से हो रही है? इसलिए प्रदेश में संचालित हो रहे सभी मदरसों का सर्वे कराने के साथ उनका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में बिना रजिस्ट्रेशन के करीब 500 मदरसे संचालित किए जा रहे हैं।
गैर मान्यता प्राप्त मदरसे बंद होंगे
संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि पूरे प्रदेश में मदरसों का सर्वे कराया जाना चाहिए, ताकि उनकी वास्तविक संख्या और उनमें चलने वाली गतिविधियों की सच्चाई सामने आ सके। ऐसे मदरसे जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं, उन्हें बंद किया जाएगा। हाल में बाल संरक्षण आयोग की टीम ने तीन-चार मदरसों का औचक निरीक्षण किया था, जो मान्यता प्राप्त नहीं थे। मदरसों का सर्वे कराए जाने के संबंध में उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है और स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री को भी संज्ञान में ला दिया है।
शहजादी ने की थी मदरसों का सर्वे कराने की वकालत
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मई में भोपाल दौरे पर आईं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य सैयद शहजादी ने अधिकारियों के साथ बैठक में मदरसों का सर्वे कराने की बात कही थी। उनका कहना था कि मदरसों का सर्वे कराया जाना चाहिए, ताकि मदरसे का संचालन करने वाली संस्था का नाम, जिस भवन में मदरसा चलाया जा रहा है वह निजी है या किराए का है, वहां पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, उनकी उपस्थिति, फर्नीचर, पानी की व्यवस्था, मदरसे में शिक्षकों की संख्या और छात्र-छात्राओं को किस तरह की सुविधाएं मिल रही हैं या किस तरह की सुविधाएं नहीं मिल पर रही हैं, इन सबके बारे में पता चल सके।