Tuesday, December 3, 2024
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चुनाव का आगाज, अगड़े-पिछड़ों में बंटने लगा समाज…

भोपाल : पहले राजपूत करणी सेना और अब भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी ने राजधानी भोपाल में शक्ति प्रदर्शन कर सरकार और राजनीतिक दलों को अपनी ताकत का अहसास कराया। प्रदेश में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आने के साथ ही विभिन्न संगठनों ने भोपाल में शक्ति प्रदर्शन शुरू कर दिया है। सामाजिक और राजनीतिक संगठन अगड़े और पिछड़े के नाम पर लामंबद हो रहे हैं। राजधानी में रविवार को हुए प्रदर्शन में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ ही बड़ी संख्या में प्रदेश भर के अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग शामिल हुए। सभा में सभी वक्ताओं ने अपने को बहुसंख्यक बताते हुए सरकार और सवर्ण समाज के लोगों पर जमकर निशाना साधा।

Deepak Birla

वक्ताओं ने राजपूत करणी सेना को भी सीधे निशाने पर लेते हुए उन्हें उनकी कम जनसंख्या का अहसास कराया और कहा कि अब देश में बहुसंख्यक समाज ही राज करेगा। साथ ही वक्ताओं ने आरक्षण को बचाने और जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उठाया। पिछले महीने बिहार और उत्तर प्रदेश में श्री रामचरितमानस की एक चौपाई को लेकर नेताओं द्वारा की गई बयानबाजी के कारण पूरे देश में अगड़ों और पिछड़ों के बीच एक गहरी खाई ख्ंिाच गई। अब विभिन्न राजनीतिक संगठन सत्ता की खातिर इस खाई को और गहरा करने के काम में जुटे हैं। इस बीच आरएसस प्रमुख मोहन भागवत के बयान ने आग में घी डालने का काम किया। उन्होंने कहा कि जाति भगवान ने नहीं, बल्कि पंडितों ने बनाई है। ईश्वर के लिए हम सब एक हैं। उन्होंने यह बात श्रीरामचरित मानस की चौपाई को लेकर विवाद के चलते हिंदू समाज में बढ़ रही आपसी वैमनस्यता को खत्म करने की नीयत से कही, लेकिन इसका असर उलटा हुआ। देश भर में ब्राम्हणों ने भागवत के बयान का विरोध किया। हालांकि बाद में मोहन भागवत अपने बयान को लेकर स्पष्टीकरण देते नजर आए।

समाजशास्त्रियों का मानना है कि हम एक बार फिर 80 और 90 के दशक की ओर लौट रहे हैं, जब जातिगत राजनीति चरम पर थी। बसपा प्रमुख मायावती, सपा के पूर्व अध्यक्ष स्व. मुलायम सिंह यादव समेत अन्य नेता जातिगत राजनीति की उपज हैं। बीच के दौर में कुछ समय के लिए राजनीति विकास पर केंद्रित हो गई। चालू दशक धर्म की राजनीति पर केंद्रित है। इस बीच एक बार फिर जातिगत राजनीति का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। एससी, एसटी और ओबीसी वोटरों ने अपने भारी-भरकम वोट बैंक की ताकत को समझ लिया है। इसलिए वे एकजुट होकर मैदान में उतरकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं।

आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद रावण जो कभी दलितों की राजनीति करते थे, अब वे आदिवासी वर्ग को भी साथ लेकर चल रहे हैं। उन्होंने रविवार को भोपाल की सभा में कहा कि मध्य प्रदेश में अगला मुख्यमंत्री आदिवासी वर्ग से बनाएंगे। माइनारिटी, एससी व ओबीसी का डिप्टी सीएम होगा। प्रदेश में चुनाव आते-आते यह जातिगत राजनीति का जिन्न क्या गुल खिलाएगा, यह आने वाले महीनों में सामने आएगा। अगड़े-पिछड़ों की राजनीति ने भाजपा और कांग्रेस के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। दोनों दल अपने-अपने स्तर पर इससे निपटने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

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