छोटे से नींबू ने आवश्यकतानुसार अपने को परिवर्तित करके अपने कद को बहुत बड़ा लिया है। पिछले 3 वर्षों में नींबू की बहुत अधिक आवश्यकता थी तब नींबू सहज सुलभ था। नींबू के पेड़ फलों से लदे हुए थे मानो कहना चाह रहे हैं की जहां हमारी आवश्यकता है वहां हम तुरंत उपलब्ध हो जाएं। और जैसे ही आवश्यकता खत्म हो हम अपने आप को समेट लें। करोना काल में की सेवा का भगवान ने बहुत अच्छा फल दिया है। तुम्हारी चर्चा जनसाधारण में हो रही है मीडिया पर भी छा गए हो। नींबू तुम सभी घरों में उछल उछल कर घूम रहे हो पर किसी की हिम्मत नहीं है तुम्हें काटने की।
इन दिनों में तो तुम्हें छील छील पर वस्त्रहीन किया जाता रहा है। रगड़ रगड़ कर तुम्हारा रस निकाल लिया जाता था। आज आम जन की हाथ में लेने की हिम्मत भी नहीं है। विदेशी पेट्रोल देशी नींबू से हारता नजर आ रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह चाल है पेट्रोल के दाम से आमजन की नजर हटाने की। तुम्हारे मूल्य के आगे पेट्रोल अपने आप सस्ता लगने लगेगा। वैसे भी देश स्वदेशी पर ध्यान दे रहा है। विदेशी पेट्रोल को देसी नींबू टक्कर दे रहा है यह लोगों को बहुत भा रहा है।
कुछ लोग तुम्हारे पेड़ को घर में नहीं लगाते थे क्योंकि उस में कांटे होते हैं। पड़ोसी की गाली भी सुननी पड़ती थी। आज वही तुम्हें बहुत महत्व दे रहे हैं। जिस घर में नींबू का पेड़ है उस घर को लोग ललचाई नजरों से देख रहे हैं। जिस पड़ोसी के घर तक तुम्हारी डाली गई है। वह तुम्हारी बलैया लेकर तुम्हें बहुत फलने फूलने का आशीर्वाद दे रहा है।
तुम ने सिद्ध कर दिया है जिन्हें हम छोटा समझते हैं उसकी कीमत कब बढ़ जाएगी यह पता नहीं होता। सभी को अपने अपने कर्मों का और सेवा का फल अवश्य मिलता है आज नींबू हम सबको यही समझा रहा है।
नींबू को प्रणाम करते हुए…..
आमगांव महाराष्ट्र: सुनीता महेश मल्ल