जब किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो अक्सर ये बात सुनने में आती है कि उसके शरीर का खून पानी बनने लगा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसमें सच्चाई कितनी है?
दरअसल जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो पोस्टमॉर्टम लिविडिटी ( लिवर मोर्टिस ) गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर के सबसे निचले हिस्से में रक्त का जमने लगता है.
दरअसल जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो पोस्टमॉर्टम लिविडिटी ( लिवर मोर्टिस ) गुरुत्वाकर्षण के कारण शरीर के सबसे निचले हिस्से में रक्त का जमने लगता है.
ये प्रक्रिया मृत्यु की शुरुआत में तुरंत शुरू हो जाती है क्योंकि रक्त अब शरीर के माध्यम से सक्रिय रूप से पंप नहीं होता.ऐसे में रक्त त्वचा पर दबाव डालना शुरू कर देता है जिससे शरीर पर लाल/बैंगनी निशान पड़ने लगते हैं. लिवर मोर्टिस के पहले लक्षण मृत्यु के लगभग 1 घंटे बाद देखे जाते हैं, जो 2-4 घंटे के आसपास अपने अधिकतम स्तर पर पहुंच जाते हैं.
इस समय रक्त अभी भी तरल होता है जिससे दबाव कम होने पर निशान हट जाते हैं. 9-12 घंटे के बाद रक्त के जमने के कारण होने वाले निशान स्थायी हो जाते हैं.
2-4 घंटे के आसपास अपने अधिकतम स्तर तक पहुंच जाते हैं. इस इस समय तक शरीर का खून काफी पतला हो जाता है, जिसकी वजह रक्त प्रवाह को रुकना और नए रक्त का न बनना होता है. इसकी पतले रक्त की वजह से ऐसा लगता है कि शरीर का खून पानी बन गया है.
इसके बाद रक्त त्वचा पर दबाव डालना शुरू कर देता है और लाल बैंगनी निशान पड़ने लगते हैं. लिवोर मोर्टिस के पहले लक्षण मौत के लगभग 1 घंटे बाद देखे जाते हैं, जो 2-4 घंटे के आसपास अपने अधिकतम स्तर तक पहुंच जाते हैं. इस इस समय तक शरीर का खून काफी पतला हो जाता है, जिसकी वजह रक्त प्रवाह को रुकना और नए रक्त का न बनना होता है. इसकी पतले रक्त की वजह से ऐसा लगता है कि शरीर का खून पानी बन गया है.