Digestive Problems: मई जून की तपिश वाली गर्मी के बाद जब बारिश की बूंदे पड़ती है तब जाकर लोग राहत की सांस ले पाते हैं। यानी की गर्मी के बाद जब बरसात आता है तब गर्मी से राहत मिल जाती है। हालांकि समस्या यहीं खत्म नहीं होती। बरसात अपने साथ कई समस्याएं लती है। बारिश के दिनों में पेट से जुड़ी दिक्कत हो जाती है। जैसे डायरिया, ऐंठन, खाना न पचना,पेट में दर्द जैसे लक्षण महसूस होते हैं।
बरसात का सुहावना मौसम सभी को अच्छा लगता है। बरसात का मौसम समोसे और पकौड़ियों के बिना गुजरता ही नहीं है। बारिश में हम ज्यादा तला भुना खा लेते हैं, जिस वजह से खाना देर से पचता है। कई बार पेट फूलने और अपच की समस्या भी हो जाती है। आज हम आपको इस लेख में बारिश के मौसम में होने वाली अपच की समस्या के बारे में बताएंगे।
बरसात के मौसम में पाचन तंत्र खराब होने के कारण
बरसात के मौसम में आपको बहुत ज्यादा साफ सफाई का ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि इस मौसम में फंगल और बैक्टीरिया बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। माइक्रो जीव सक्रिय हो जाते हैं। बरसात में मक्खियां भी खूब लगती है। मक्खियां गंदे नाले कचरा पर बैठती हैं और अपने पैरों में कीटाणु लगाकर बिना ढके खाने पर बैठ जाती हैं। जिससे हम बीमार पड़ जाते हैं। हमें डायरिया जैसी समस्या हो जाती है।
विशेषज्ञ कहना है कि बारिश में पाचन तंत्र जल्दी खराब हो जाता है। क्योंकि इस मौसम में बहुत ज्यादा वायरस और बैक्टीरिया का खतरा रहता है जैसे इन दोनों नोरा वायरस, रोटा वायरस का प्रकोप बढ़ जाता है। जिन लोगों की इम्युनिटी पहले से कमजोर होती है उनको ये वायरस नुकसान पहुंचाते हैं।
बारिश में माइक्रोऑर्गेनिज्म बहुत ज्यादा सक्रिय रहते हैं। ऐसे में ये जीव बाजार वाले खाने पर बहुत ज्यादा रहते हैं। क्योंकि अक्सर बाजार में मिलने वाले पकौड़ी और समोसे मिठाइयां जलेबी खुले बिकते हैं। इस वजह से ये सूक्ष्मजीव इन पर मौजूद होते हैं और जब हम इनको खाते हैं तो ये हमारी इम्यूनिटी पर हमला कर देते हैं। इस कारण हमारा पाचन खराब हो जाता है।
(Rainy season) बरसात के मौसम में कैसे करें बचाव
बाहर का खाना ना खाएं।
खाना खाने से पहले हाथ को साबुन से धोएं।
घर में भी खाना खुला ना रखें।
बरसात के दिनों में साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें।
ज्यादा तले भुने खाना खाने से बचें।