Saturday, December 21, 2024
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धर्म परिवर्तन मामला: 3 हिंदू बच्चों को जबरन बनाया था मुसलमान, दमोह अपने घर पहुंचे तीनों भाई-बहन

धर्म परिवर्तन :   मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के गोहरगंज में दमोह के तीन बच्चे जो अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे। उन बच्चों का मुस्लिम नाम रख कर बाल गृह में रखा गया था। पिता ने बच्चों को खोजने के लिए काफी प्रयास किए और जब पिता को बच्चों की जानकारी मिल गई, लेकिन यह तीनों बच्चे जिस संस्था के पास थे। उस संस्था ने इन बच्चों को देने से मना कर दिया। इस संबंध में अभी हाल ही में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांश कानूनगो ने इस मामले में गंभीरता का परिचय देते हुए तीनों बच्चों को उसके पिता के सुपुर्द कराया है। इस मामले में बुधवार की रात्रि तीनों बच्चे दमोह पहुंचे और रात्रि में विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने शिव मंदिर में पूरे हिंदू रीति रिवाज से इन बच्चों की वापसी कराई। वहीं रात्रि में ही यह तीनों बच्चे जिनमें दो बहन एक भाई जिनकी उम्र 4 साल 6 साल और 8 साल इन्हें वापस लाया गया और इन बच्चों को वापसी का प्रयास करने वाले दयालु ठाकुर ने बताया कि इन तीनों बच्चों के पिता हैं लेकिन मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। फिलहाल इन तीनों बच्चों को उनके पिता के साथ उनके गृह ग्राम दमोह तहसील के अंतर्गत ही भेज दिया गया है।

बच्चों ने बताई पूरी सच्चाई

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से बच्चों का धर्मांतरण कराने की खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि रायजेन के गोहरगंज इलाके में शासकीय अनुदान से चलाए जा रहे एक बाल गृह में तीन बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया गया है. राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस मामले में जब बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता हिंदू थे, लेकिन शिशु गृह में उनका नाम बदलकर मुस्लिम नाम कर दिया गया है. इसके साथ ही उनके आधार कार्ड भी मुस्लिम नाम से बनवाए गए हैं. 

लॉकडाउन से पहले मां-बाप से बिछड़े थे तीनों भाई-बहन

तीनों बच्चे भाई-बहन हैं, पिता मंडीदीप में किसी फैक्ट्री में गार्ड हैं। आपसी विवाद के बाद मां और पिता साथ नहीं रहते। मां बच्चों को लेकर भोपाल चली गई थी। यहां वह ताजुल मस्जिद के पास किसी मुस्लिम फकीर के साथ भीख मांगने लगी। कोविड में बच्चे मां से बिछुड़ गए। भोपाल की मातृ-छाया संस्था (NGO) को बच्चे लावारिस नजर आए। उन्होंने बच्चों को बाल कल्याण समिति भोपाल के सामने पेश किया। मामला रायसेन जिले का था, इसलिए बाल कल्याण समिति भोपाल ने यह केस रायसेन बाल कल्याण समिति के पास ट्रांसफर कर दिया। बाल कल्याण समिति रायसेन ने इन बच्चों को गोदी शिशु गृह गौहरगंज को तब तक के लिए हवाले कर दिया, जब तक इनके पेरेंट्स नहीं मिल जाते।

शिशु गृह के सभी दस्तावेज जब्त

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इस शिशु गृह में 5 बच्चे रहते हैं। इनमें से तीन सगे भाई-बहन हैं। राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने शिशु गृह के संचालक को फटकार लगाते हुए शिशु गृह के सभी दस्तावेज जब्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही महिला बाल विकास विभाग को जांच कर FIR दर्ज कराने के आदेश भी दिए हैं।

इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना काल में वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान भोपाल के मंडीदीप में गार्ड की नौकरी करने वाले पिता से तीनों बच्चे बिछड़ गए थे। बाद में उन्हें रायसेन के गोदी शिशु गृह गोहरगंज में रखा गया था, लेकिन वहां पर इनका नाम शाहरुख, सुहाना और रुकसाना रख दिया गया। इनके आधार कार्ड भी इसी नाम से बनवा दिए गए। जबकि जब इस शिशु गृह में यह बच्चे पहुंचे थे तो इनके नाम हिंदू थे, लेकिन शिशु गृह में पहुंचते ही वहां के संचालक हसीन परवेज द्वारा इनके नाम बदल दिए गए। जब जांच में इस बात का उजागर हुआ कि इन बच्चों के माता-पिता हिंदू हैं और इन्हें मुस्लिम बना दिया गया है तथा आधार कार्ड में भी मुस्लिम लिखवा दिया है। इस बात पर अभी हाल में राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष जब दमोह पहुंचे थे तो इस मामले की शिकायत भी इन बच्चों के पिता ने अध्यक्ष से की थी। तब इस मामले में रायसेन के निरीक्षण के दौरान इस मामले के प्रकाश में आने के बाद रिहाई कराई गई और बाल आयोग के निर्देश पर हसीन परवेज संचालक को आरोपी बनाया गया है।

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