महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना और एनसीपी प्रचंड बहुमत के साथ सियासी बाजी जीतने में कामयाब रही है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है. 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी अपना सीएम बनाने के लिए तानाबाना बुन रही है, जिसके लिए एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम या फिर केंद्र में मंत्री पद का ऑफर दिया गया है. अजीत पवार डिप्टी सीएम के लिए राजी हैं, लेकिन शिंदे को बीजेपी का ऑफर स्वीकार नहीं है. शिंदे को सीएम पद से कम कुछ भी मंजूर नहीं है.
मुख्यमंत्री पद को लेकर एकनाथ शिंदे गुट के नेता वैसी ही बातें और वादे की याद बीजेपी को दिला रहे हैं जैसे 2019 चुनाव नतीजे के बाद उद्धव ठाकरे ने की थी. शिंदे गुट के शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि चुनाव से पहले शिवसेना से वादा किया गया था कि अगर महायुति को बहुमत मिलता है तो भी सीएम पद शिवसेना को दिया जाएगा. ऐसे में एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम का पद स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा गया है और उनकी वजह से ही जीत महायुति को जीत मिली है. ऐसे में सीएम पद के एकनाथ शिंदे हकदार हैं.
शिंदे को सीएम बनाएंगे तो अच्छा संदेश जाएगा
शिवसेना के सूत्रों की मानें तो बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ कई बैठकों में यह तय हुआ कि बीजेपी अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन महायुति के घटक दलों को मिलने वाली सीटों की संख्या की परवाह किए बिना, महायुति को बहुमत मिलने पर शिंदे सीएम बने रहेंगे. शिरसाट ने कहा कि अगर बीजेपी हमारी मांग (शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की) पूरी करती है तो लोगों में अच्छा संदेश जाएगा. शिंदे के सीएम बनने से भविष्य में हो चुनाव हमारे लिए फायदेमंद साबित होंगे.
2019 के मोड़ पर खड़ी महाराष्ट्र सियासत
महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के बाद फिर से सियासत 2019 के मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है. महायुति ने 2019 विधानसभा चुनाव में बिना सीएम चेहरे के ही लड़ा था. अमित शाह ने कहा था कि शिंदे जरूर मौजूदा सीएम हैं, लेकिन नए सीएम का फैसला नतीजे आने के बाद तीनों पार्टियां बैठकर तय करेंगी. बीजेपी के पक्ष में जिस तरह से नतीजे आए हैं, उसके बाद से पार्टी अपना सीएम बनाने की कवायद में है. ऐसे में देवेंद्र फड़णवीस के नाम की चर्चा है. बीजेपी ने शिवसेना और अजीत पवार को डिप्टी सीएम का ऑफर दिया है, लेकिन शिंदे गुट को यह फॉर्मूला स्वीकार नहीं है. इसके लिए वह चुनाव से पूर्व किए गए अंदुरुनी समझौते की बात कर रहे हैं, जिसमें शिंदे को सीएम बनाने की बात हो रही है.
सीएम के लिए उद्धव ने तोड़ी थी दोस्ती
2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना (संयुक्त) मिलकर चुनाव लड़ी थीं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर नजरिया साफ नहीं किया था. महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे एनडीए के पक्ष में आए थे, लेकिन सीएम पद को लेकर बीजेपी-शिवसेना की दोस्ती टूट गई थी. उद्धव ठाकरे ने कहा था कि बीजेपी ने चुनाव से पहले वादा किया था कि पहले ढाई साल शिवसेना का सीएम रहेगा और उसके बाद का ढाई साल बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा. बीजेपी अब अपना सीएम चाहती है. इस तरह का आरोप लगाकर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था और कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.
उद्धव ठाकरे और शिवसेना का कहना था कि बीजेपी ने सत्ता का ढाई-ढाई साल की सरकार का फॉर्मूला तय किया था, लेकिन चुनाव के बाद पलट गई थी. इसके चलते बीजेपी से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी. वहीं, बीजेपी यह कहती रही कि उद्धव ठाकरे और शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर ऐसा कोई का समझौता नहीं हुआ था. न ही शिवेसना ने इस तरह का कोई ऑफर दिया गया था. उद्धव ठाकरे ने अपनी सियासी महात्वाकांक्षा में एनडीए को मिले जनादेश का अपमान किया है.
उद्धव ठाकरे की भाषा बोल रहा शिंदे गुट
उद्धव ठाकरे जून 2022 में शिवेसना के 38 विधायकों को अपने साथ मिलाकर तख्तापलट कर दिया था. इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री तो वहीं देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बनाए गए थे. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ढाई साल सरकार चली और फिर से महायुति प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है. बीजेपी को मिली शानदार जीत के बाद सीएम पद को लेकर सियासी दृष्टिकोण पूरी तरह से बदल गया है. ढाई साल तक सत्ता की कमान शिंदे के हाथों में सौंपने वाली बीजेपी अब अपना सीएम बनाने की कवायद में है. बीजेपी ने शिंदे को केंद्र में मंत्री और डिप्टी सीएम पद का ऑफर दिया है, जिस पर एकनाथ शिंदे राजी नहीं है.
शिवसेना का बीजेपी से गठबंधन तोड़ना और शिवसेना, एनसीपी में टूट की वजह सीएम पद ही थी, फिर वैसी ही स्थिति बनी हुई है. दोनों ही गठबंधन में यह कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का फैसला होगा. बीजेपी ने भले ही उद्धव ठाकरे से हिसाब बराबर करने के लिए एकनाथ शिंदे को 2022 में सीएम बना दिया हो, लेकिन अब नहीं करेगी. चुनाव के बाद अगर बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाने की कवायद करती है तो शिंदे गुट तैयार नहीं है.