Chandigarh news: पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर से कुछ दूर हरियाणा के पंचकुला जिले में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। पंचकूला में एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर है, जिसके नाम पर चंडीगढ़ शहर का नाम पड़ा। हम बात कर रहे हैं प्राचीन चंडी माता मंदिर की। इस मंदिर का इतिहास लगभग 5000 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है।
इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप कारण हुआ
इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था।
ऐतिहासिक मंदिर
पंचकूला में एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर है, जिसके नाम पर चंडीगढ़ शहर का नाम पड़ा। हम बात कर रहे हैं प्राचीन चंडी माता मंदिर की। इस मंदिर का इतिहास लगभग 5000 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। मंदिर निर्माण के पीछे भी एक रोचक कहानी है। कहा जाता है कि 5000 साल पहले मंदिर वाली जगह पर एक साधु ने कई सालों तक तप किया था, जिसके बाद उन्हें मां दुर्गा की मूर्ति मिली और तभी इस मंदिर का निर्माण कराया गया था।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मंदिर का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने 12 साल के वनवास के दौरान यहां ठहराव किया था और अर्जुन ने चंडी माता की तपस्या की थी। तपस्या से खुश होकर माता चंडी ने अर्जुन को तेजस्वी तलवार और जीत का वरदान दिया था, जिसके बाद पांडवों ने महाभारत के युद्ध में विजय हासिल की थी।
प्रथम राष्ट्रपति मंदिर को देखकर प्रभावित हुए थे
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पंजाब के पूर्व गवर्नर चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। मंदिर को देखकर काफी प्रभावित हुए थे, जिसके बाद उन्होंने घोषणा की थी कि अब चंडी माता के नाम पर चंडीगढ़ शहर बसाया जाएगा। दरअसल, चंडी माता मंदिर से कुछ दूरी पर ही एक किला था, जिसका नाम “गढ़” था और इन दोनों शब्दों को मिलाकर ही चंडीगढ़ का नाम रखा गया था।
कहते है कि यहां पर जो भी सच्चे दिल से चंडी माता मंदिर में माथा टेकता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं मंगलवार (19 जून 2023 ) से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो चुके हैं।