नई दिल्ली. हर साल आज के दिन दुर्लभ बीमारी दिवस (Rare Disease Day) मनाया जाता है, लेकिन आज का यह दिवस और यह तारीख़ ख़ास है क्योंकि आज सालों का इंतज़ार ख़त्म हुआ है.
दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए एक राहत कि खबर सामने आई है. इस खबर और इस मदद का इंतज़ार लोगों को काफी दिनों से था और अब जाकर आज यह तोहफ़ा स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ़ से मिला है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को सरकारी मदद देना शुरू कर दिया है. 2021 में नीति लागू होने के बाद यह पहली बार हो रहा है की दुर्लभ रोगों से पीड़ित मरीजों को यह मदद मिलने जा रही है. राष्ट्रीय नीति के तहत आवेदनों को मंजूरी दी गई है.
ऐसे तमाम लोग हैं, जो दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित होने के कारण कष्टमय जीवन गुजार रहे हैं और इनकी मदद भी नहीं हो पा रही है. इनमें से कई परिवार 2021 से सरकारी मदद के इंतजार में हैं, लेकिन आज तक इनकी मदद नहीं हो पायी है. मदद के इंतज़ार में 2 साल से गुजर गए हैं.
दस्तावेजों के मुताबिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (दुर्लभ रोग प्रकोष्ठ) ने CGH-IGI को साल 2022-23 में राष्ट्रीय आरोग्य निधि की अंब्रेला योजना के तहत वित्तीय मदद के लिए एक पत्र लिखा था. इसके बाद जारी की गई 3.15 करोड़ की सरकारी राशि से कर्नाटक के बेंगलुरु के 22 परिवारों की मदद की जाएगी.
कोलकाता के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में 4 परिवारों का रजिस्ट्रेशन किया गया है. इनमें 2 रोगी गौचर से पीड़ित हैं, तो वहीं 2 रोगी MPSI से पीड़ित हैं. मंत्रालय ने 134 रोगी परिवारों के लिए 22 करोड़ रुपए जारी किए हैं. लेकिन इस कदम को सिर्फ़ शुरुआत माना जा रहा है क्योंकि ऐसे 453 मरीज हैं, जिनके बच्चे दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित हैं और कई तो ऐसे हैं जिनके पास बेहद कम वक्त होता है और जब तक उन्हें बीमारी का पता चलता है तब तक काफ़ी देर हो चुकी होती है.
ऐसे कई मरीज़ है जो लाइसोसोमल स्टोरेज डिजीज और नॉन लाइसोसोमल स्टोरेज डिजीज दोनों के इलाज के लिए सरकारी फंड का इंतजार कर रहे हैं.