Irctc Ticket Booking New Rule: ट्रेन की ऑनलाइन टिकट बुक करने के लिए लोग अपनी पर्सनल आईडी का इस्तेमाल करते हैं, IRCTC देश के नागरिकों को ऑनलाइन टिकट बुक करने की सुविधा देता है, कई बार आप मदद करने के लिए अपनी पर्सनल आईडी पर दूसरों के लिए ट्रेन की टिकट बुक कर देते हैं। जिसके तहत अपने दोस्तों और दूर के रिश्तेदारों की टिकट भी बुक कर लेते हैं। अगर आप भी कुछ ऐसा ही करते हैं, तो सावधान हो जाइए। रेलवे अधिनियम की धारा 143 के तहत आरक्षित टिकट को अनधिकृत रूप से खरीदना या बेचना अपराध के श्रेणी में आता है, जिसके तहत फर्जीवाड़ा करने वाले व्यक्ति पर 10 हजार रुपए तक का जुर्माना और 3 साल की जेल की सजा का प्रावधान है।
आपने पर्सनल आईडी का इस्तेमाल कर यदि टिकट दोस्त, करीबी या किसी संस्थान में काम करने वाले कर्मचारी के लिए भी बनाया है तो आप रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) की जांच के दायरे में आ सकते हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर उन पर कार्रवाई करने के लिए आरपीएफ ने जबलपुर, भोपाल समेत देशभर में आपरेशन उपलब्ध चलाया है। इसके तहत पर्सनल आइडी से टिकट बनाने वालों की जांच शुरू हो गई है। जबलपुर रेल मंडल में ऐसे 90 से ज्यादा लोगों पर मामले दर्ज किए गए हैं। उनसे पूछताछ भी चल रही है।
प्रबल साफ्टवेयर की मदद से हो रही है पहचान
आरपीएफ निजी साफ्टवेयर प्रबल की मदद लेकर आइडी का कामर्शियल उपयोग करने वालों की पहचान करने में जुटी है। प्रबल साफ्टवेयर आइआरसीटीसी के सर्वर से जुड़ा है। यह आसानी से पहचान लेता है कि एक ही व्यक्ति या अनेक व्यक्ति ने कब और कहां यात्रा की है। साफ्टवेयर निजी आइडी से बने टिकट, लोगों के नाम और टिकट के दाम की भी जानकारी देता है। ऐसे व्यक्तियों के नाम आरपीएफ के दिल्ली मुख्यालय या फिर जोनल मुख्यालय में बैठे एक्सपर्ट के पास आ जाते हैं।
सुविधाओं का हो रहा है गलत उपयोग
आइआरसीटीसी से टिकट के कामर्शियल उपयोग का अधिकार एजेंट को है, जो शुल्क देकर आइडी लेता है। एजेंट कई बार एक साथ कई फर्जी आइडी बनाकर उससे कामर्शियल टिकट बनाता है। इसके बदले में वह यात्री से टिकट के तय दाम से दो से ढाई गुना तक वसूलता है। ऐसे में रेलवे को राजस्व की हानि होती है। आरक्षित टिकट अनधिकृत रूप से खरीदना और बेचना रेलवे अधिनियम की धारा 143 के अंतर्गत अपराध है। सजा के तौर पर 10,000 रपये जुर्माना या तीन वर्षों की जेल का प्रविधान है।