नई दिल्ली। वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी से विपक्ष को गहरा झटका पहुंचा जिससे वे तिलमिला उठे है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने कहा है कि, वन नेशन वन इलेक्शन वर्तमान संविधानिक ढांचे में संभव नहीं है। संविधान में जरुरी संशोधनों के लिए मोदी सरकार के पास जरुरी संख्या बल नहीं है। मंगलवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बात करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि, वन नेशन वन इलेक्शन के लिए संविधान में कम से कम पांच संशोधन करने होंगें।
मोदी के पास ना तो लोकसभा और ना ही राज्यसभा में इतना संख्याबल है कि, ये संशोधन किए जा सकें। बता दें कि, चिदम्बरम पत्रकारों के उस सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उनसे पूछा गया था कि, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के मौजूदा कार्यकाल में ही वन नेशन वन इलेक्शन लागू करने की बात की जा रही है। वहीं इस पर कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, यह विचार व्यवहारिक नहीं है। उन्होंने कहा कि, हॉट बैलून्स उड़ाकर मोदी सरकार कितने दिन चलती है ये देखने वाली बात होगी।
कितने दिनों तक देश की प्रमुख समस्याओं से मुंह फेरकर ये सरकार चल सकती है। अपने हिसाब से खबरें छपवाकर कितने दिनों तक सरकार चलायी जा सकती है। सच्चाई ये है कि, इसका कोई मसौदा तैयार नहीं किया गया है। विधानसभाओं के सत्र चल रहे हैं। उनमें कोई चर्चा नहीं चल रही है, ना कि विपक्ष से बात करने का कोई प्रयास किया गया है।
मोदी कैबिनेट की बैठक में वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मिली मंजूरी
वहीं मोदी कैबिनेट ने आज हुई बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। बता दें कि, कैबिनेट ने वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी है। इस प्रस्ताव का उददेश्य लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनावों को एक समय पर कराना है। केंद्र सरकार एक राष्ट्र्, एक चुनाव विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश करेगी। मालूम हो कि, पूर्व राष्ट्र्पति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में जो सुझाव दिये गये थे, उसी के मुताबिक लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। समिति ने कहा था कि, लोकसभा, राज्यसभा चुनाव व राज्य विधानसभा चुनाव होने के 100 दिनों के अंदर ही स्थानीय निकाय चुनाव हो जाने चाहिए। वहीं मौजूदा समय में राज्यों के चुनाव अलग अलग होते हैं।
वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे
- चुनाव पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचत
- बार बार चुनाव कराने से निजात
- फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर होगा
- बार-बार आचार संहिता का असर पड़ता है
- काले धन पर लगाम भी लगेगी