सभापति धनखड़ का सांसदों को संदेश: दूसरों की भावनाओं का करें सम्मान

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सभी राजनीतिक दलों से अपील कर कहा कि वे सौहार्द और आपसी सम्मान की भावना को बढ़ावा दे. हम दूसरों के लिए किसी ऐसी भाषा का इस्तेमाल न करें जो अमर्यादित हो. उन्होने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करते हुए कहा कि वे भारत की प्रगति हेतु रचनात्मक राजनीति करें.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक जीवंत लोकतंत्र निरंतर कलह के वातावरण में फल-फूल नहीं सकता. राजनीतिक तनाव को कम करना आवश्यक है, क्योंकि टकराव राजनीति का मर्म नहीं है. विभिन्न राजनीतिक दल भले ही अलग-अलग रास्तों से लक्ष्य तक पहुंचना चाहें, लेकिन कोई भी भारत के हितों का विरोधी नहीं है.

अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल न करें
धनखड़ ने कहा कि मैं सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे सौहार्द और आपसी सम्मान की भावना को बढ़ावा दें. टेलीविजन या किसी अन्य मंचों पर नेताओं के विरुद्ध अमर्यादित भाषा या व्यक्तिगत टिप्पणी करने से बचें. उन्होंने कहा कि ऐसा आचरण हमारी सभ्यता के विरुद्ध है. उन्होंने कहा कि विवाद नहीं, संवाद और चर्चा ही आगे बढ़ने का मार्ग है. आपसी झगड़े हमारे शत्रुओं को मजबूत करते हैं और उन्हें हमें बांटने का अवसर प्रदान करते हैं.

विचार-विमर्श है लोकतंत्र की असली ताकत
उपसभापति ने कहा कि हमारे देश की यही ऐतिहासिक महत्ता है कि यहां बातचीत, विचार विमर्श और विचारों के आदान प्रदान को महत्व दिया जाता है. उन्होंने कहा कि यही हमारे लोकतंत्र की असली ताकत है. इसके आगे धनखड़ ने कहा कि यही हमारी संसद का मार्गदर्शक भी होना चाहिए.

रचनात्मक राजनीति को बढ़ावा दे
उपराष्ट्रपति ने सभी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं सत्तापक्ष और विपक्ष सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे भारत की प्रगति हेतु रचनात्मक राजनीति करें. ऐसी मुद्दों पर चर्चा करें जिससे देश को लाभ हो. उन्होंने कहा कि आपके सहयोग और सक्रिय सहभागिता से मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह मानसून सत्र उपयोगी और अर्थपूर्ण सिद्ध होगा.