नीलकुरिंजी फूल: क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसा फूल उगता है, जो 12 साल में एक बार खिलता है। जी हां, अगर ये फूल इस साल उगा है तो इसे फिर से देखने के लिए 2034 का इंतजार करना होगा। इसकी खास बात ये है कि ये सिर्फ भारत में ही उगता है। ऐसे में जानते हैं इस फूल में क्या खास है और ये कौन सा फूल है। नीलाकुरिंजी फूल जो की खास कर मुन्नार की पहाड़ियों में होता है, 12 साल में सिर्फ एक बार ही खिलता है। इसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग यहाँ आते हैं। नीले रंग का ये फूल इतना खूबसूरत होता है कि ये किसी का भी मन मोह सकता है। आइये जानते है इसके कुछ खासियत के बारे में।
“हमारे देश को हुए 73 साल हो चुके हैं और इन 73 सालों में ये फूल सिर्फ 6 बार ही खिला है।” एक शोध के अनुसार “ये फूल एक बार खिलने के बाद सूख जाते हैं, लेकिन इसके बीज उसी स्थान पर रहते हैं। इन्हीं बीजों से उस जगह पर दोबारा फूल होते हैं जिन्हे खिलने में करीब करीब 12 साल लग जाते हैं।”
मुन्नार में सबसे ज्यादा नीलकुरिंजी के पौधे हैं। हर पौधा अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार खिलता है और फूल खिलने के कुछ दिनों बाद सुख के खत्म हो जाता है। बीज को फिर से पौधा बनने में और बड़ा होने में करीब 12 वर्षों का लंबा वक्त लग जाता है। “इस फूल कि सबसे बड़ी खासियत ये है कि जैसे ही ये फूल खिलते हैं इसपे तितलियों और मधुमक्खियों का झुंड लग जाता है। इस फूल का शहद बहुत खास होता है। यह 15 वर्षों तक खराब नहीं होता और इस शहद में कई औषधीय गुण भी होते हैं।”
केरल का इडुक्की जिले में नीलकुरिंजी के फूल लगते हैं। नीलकुरिंजी कोई साधारण फूल नहीं बल्कि एक बेहद ही दुर्लभ फूल है। इन फूलों को देखने के लिए 12 साल का इंतजार करना पड़ता है।बता दें कि नीलकुरिंजी एक मोनोकार्पिक पौधा होता है जो खिलने के बाद जल्दी ही मुरझा भी जाता है। आमतौर पर नीलकुरिंजी अगस्त से लेकर अक्टूबर तक ही खिलते हैं। इस साल खिलने के बाद अब अगली बार इसकी खूबसूरती साल 2033 में देखने को मिलेगी। पिछले साल अक्टूबर में ये काफी फूल देखने को मिले थे।
केरल के साथ-साथ तमिलनाडु में भी इन फूलों की खूबसूरती देखने को मिल जाती है।केरल में सिर्फ नीलकुरिंजी को देखने के लिए सैलानियों की जबरदस्त भीड़ आती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर के कई सैलानी तो सिर्फ नीलकुरिंजी को देखने के लिए लाखों रुपये खर्च करके केरल आते हैं।