अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संयुक्त बयान में दोनों देशों के बीच व्यापार को वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर तक ले जाने की घोषणा की गई है।
भारत का कुल निर्यात 120 अरब डॉलर का
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों देश इस साल द्विपक्षीय व्यापार समझौता करेंगे। यानी कि अगले पांच साल में दोनों देशों के व्यापार में 310 अरब डॉलर का इजाफा होगा क्योंकि अभी वस्तु व सेवा को मिलाकर दोनों देशों के बीच 190 अरब डॉलर का व्यापार होता है। इनमें भारत का कुल निर्यात 120 अरब डॉलर का है।
इससे पहले ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत व अमेरिका के बीच मिनी ट्रेड डील की शुरुआत की गई थी और काफी हद दोनों देशों के बीच इस डील को लेकर सहमति भी बन गई थी, लेकिन ट्रंप के चुनाव हार जाने के बाद यह डील ठंडे बस्ते में चला गया था।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के महानिदेशक व सीईओ अजय सहाय के मुताबिक इसी मिनी ट्रेड डील पर फिर से वार्ता शुरू होगी जो भारत के लिए काफी अहम हो स कता है। विशेषज्ञ इस डील को चीन के साथ अमेरिका के तनावपूर्ण व्यापारिक संबंधों को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं।
भारत के गारमेंट,फुटवियर, जेम्स व ज्वैलरी जैसे उत्पाद
जानकारों का कहना है अमेरिका भारत में कच्चे तेल, गैस हथियार जैसी वस्तुओं को बेचना चाहेगा और बदले में भारत के गारमेंट,फुटवियर, जेम्स व ज्वैलरी, खिलौने, हैंडीक्राफ्ट्स के लिए अपने दरवाजे को बड़ा कर सकता है क्योंकि अमेरिका इस प्रकार के उत्पादों के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर करता है।
ट्रेड डील होने पर चीन की तुलना में भारतीय उत्पाद अमेरिका के बाजार में काफी सस्ते हो जाएंगे जिससे उनकी मांग बढ़ेगी। वैसे भी अमेरिका चीन की वस्तुओं पर अलग से 10 प्रतिशत का शुल्क लगाने की घोषणा कर चुका है।
अमेरिका में भारतीय वस्तुओं का निर्यात बढ़ सकता है
अमेरिका में भारतीय वस्तुओं का निर्यात बढ़ता है तो दुनिया भर में भारतीय वस्तुओं की साख बढ़ेगी जिससे हमारे कुल निर्यात को समर्थन मिलेगा। जानकारोंका कहना है कि अमेरिका में इस प्रकार की वस्तुओं के लिए अभी से भारतीय कंपनियों से पूछताछ होने लगी है।