ब्रिजटाउन। कप्तान रोहित शर्मा की टीम टी20 विश्व कप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के सामने होगी। यह मैच बारबाडोस के केनसिंगटन ओवल में खेला जाएगा। 2007 की विजेता भारतीय टीम के पास 17 साल बाद फिर से टी20 विश्व चैंपियन बनने का मौका है। भारतीय टीम इंग्लैंड को 68 रन से हराकर फाइनल में पहुंची है। भारत और दक्षिण अफ्रीका, दोनों अब तक इस विश्व कप में अपराजेय हैं। भारतीय टीम का यह तीसरा टी20 विश्व कप फाइनल है। वहीं, द. अफ्रीका पहली बार किसी विश्व कप के फाइनल में पहुंचा है। भारत अंतिम बार 10 साल पहले 2014 में टी-20 विश्व कप के फाइनल में पहुंचा था, जहां उसे श्रीलंका के हाथों हार मिली थी।
भारतीय टीम किसी भी प्रारूप में विश्व चैंपियन बनने का सपना पिछले 13 वर्षों से देखती आ रही है। रोहित की टीम के पास 17 वर्ष बाद टी20 विश्व कप जीतने का तो मौका होगा ही साथ में 2011 के बाद टीम इंडिया को एक बार फिर विश्व विजेता का ताज पहनाने का भी अवसर होगा। भारत ने 2013 चैंपियंस ट्रॉफी के बाद कोई आईसीसी का खिताब नहीं जीता है और 11 साल के आईसीसी के सूखे को खत्म करने का भी मौका होगा।
रोहित के लिए आसान नहीं होगा मुकाबला
रोहित के लिए यह महामुकाबला मानसिक तौर पर आसान नहीं होगा। उनकी कप्तानी में भारत टेस्ट विश्व चैंपियनशिप और 2023 के वनडे विश्वकप का फाइनल खेल चुकी है, लेकिन उनकी टीम फाइनल की यह अंतिम बाधा पार नहीं कर पाई। रोहित की टीम को इसी अंतिम बाधा को पार करने का एक और मौका मिला है। यहां जीते तो करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के साथ अपने अंतिम टूर्नामेंट में कोचिंग कर रहे राहुल द्रविड, खुद उनके और विराट कोहली के लिए यह विशेष तोहफा होगा। माना जा रहा है कि रोहित और विराट का भी यह अंतिम टी-20 विश्व कप हो सकता है।
अब तक अपराजेय हैं दोनों टीमें
यह फाइनल उन दो टीमों के बीच है, जो अब तक टूर्नामेंट में अपराजेय हैं। भारत सात मैच जीता है, एक मैच उसका बारिश में धुला है, जबकि द. अफ्रीका लगातार आठ मैच जीतकर फाइनल में पहुंचा है। द. अफ्रीका के लिए भी यह फाइनल विशेष है, क्योंकि उनकी टीम पहली बार किसी विश्वकप के खिताबी मुकाबले में पहुंची है। वहीं, भारतीय टीम टी-20 विश्वकप का तीसरा फाइनल खेलेगी। अंतिम बार भारत 10 साल पहले 2014 में फाइनल में पहुंचा था, जहां उसे श्रीलंका से हार मिली थी।
परिस्थितियों से तालमेल बिठाना बना सफलता का मंत्र
इस विश्व कप में भारतीय टीम की सफलता मंत्र अमेरिका और वेस्टइंडीज की परिस्थितियों से बेहतर तरीके से तालमेल बिठाना है। इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में 68 रन से जीत हासिल करने के बाद रोहित शर्मा ने भी यह बात स्वीकार की। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सेमीफाइनल मुकाबला ही है, जहां अक्षर पटेल और कुलदीप यादव ने प्रोवीडेंस की धीमी पिच का भरपूर फायदा उठाते हुए इंग्लैंड को महज 103 रन पर ढेर कर दिया। पहले भारतीय टीम ने अमेरिका में वहां की नई पिचों पर तेज गेंदबाजों का बखूबी इस्तेमाल किया और वेस्टइंडीज में कुलदीप-अक्षर की जोड़ी को बखूबी आजमाया गया।
प्रोवीडेंस से अलग होगी यहां की पिच
केनसिंगटन ओवल की पिच प्रोवीडेंस से अलग है। यहां की पिच शुरुआत में तेज गेंदबाजों को मदद देती है। उन्हें नई गेंद से स्विंग मिलता है। बाद में यह पिच बल्लेबाजों की मददगार बन जाती है। यहां अच्छी लाइन रखने वाले स्पिनर भी भूमिका निभाते आ रहे हैं। भारत ने इस विश्व कप में अफगानिस्तान के खिलाफ यहां एक मैच खेला है। भारत ने यहां पहले बल्लेबाजी करते हुए 181 रन बनाए थे और अफगानिस्तान को 134 रन पर समेट 47 रन से जीत हासिल की थी। यहां 32 टी-20 मैच हो चुके हैं। 19 में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती है और 11 में लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत मिली है। दो बेनतीजा रहे हैं।
फाइनल पर बारिश का साया
सेमीफाइनल की तरह फाइनल पर भी बारिश का साया है। शनिवार को उष्णकटिबंधीय तूफान आने की उम्मीद है। हालांकि फाइनल के लिए रविवार सुरक्षित दिन निर्धारित किया गया है। इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में बारिश के कारण तकरीबन ढाई घंटे खेल बाधित रहा था।