उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जीएसटी विभाग के डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह सुसाइड केस में संजय के कैंसर ट्रीटमेंट की वो रिपोर्ट जो इन दावों को सिरे से खारिज करती है कि वो इस गंभीर बीमारी के कारण डिप्रेशन में थे. संजय के चचेरे भाई धनंजय सिंह ने यह मेडिकल रिपोर्ट दिखाई है, जो कि नवंबर 2024 की है. इसके मुताबिक, संजय पूरी तरह से ठीक हो चुके थे. धनंजय ने दावा किया कि ये मेडिकल रिपोर्ट साफ कहती है कि संजय कैंसर की वजह से डिप्रेशन में नहीं थे. बल्कि, वो विभाग से मिल रही प्रताड़नाओं से परेशान थे. संजय सिंह ने सोमवार सुबह, नोएडा के सेक्टर-75 स्थित एपेक्स सोसायटी की 15वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी. तभी से यह केस सुर्खियों में बना हुआ है. उनकी मौत को लेकर तमाम बातें सामने आ रही हैं.संजय के परिवार से बात की. कई अहम जानकारियों परिवार ने संजय को लेकर दीं. साथ ही ये भी साफ किया कि वो विभाग की प्रातड़ना से ही तंग थे.
धनंजय सिंह ने बताया- एक साल बाद संजय की रिटायरमेंट थी. संजय को एक साल से डिप्रेशन जरूर था. लेकिन वो विभाग में उच्च स्तर पर जो काम का अतिरिक्त भार सौंपा जा रहा था, उस वजह से डिप्रेशन में थे. हमारा मानना है कि विभाग में प्रताड़ना का स्तर इतना बढ़ा दिया गया है कि कोई भी स्वतंत्र विवेक से इस विभाग में काम कर ही नहीं पा रहा है. रोज काम में इतना हस्तक्षेप किया जाता है कि यहां कर्मचारी स्वतंत्र तरीके से काम कर ही नहीं सकते. सिर्फ संजय ही नहीं, विभाग के अन्य कर्मचारी भी प्रताड़ना से जूझ रहे हैं.
उन्होंने बताया- कैंसर से डिप्रेशन की बात बिल्कल गलत है. हमारे पास उनकी मेडिकल रिपोर्ट है, जो कि 14 नवंबर 2024 की है. वो इस बीमारी से बाहर निकल चुके थे. रिपोर्ट में भी साफ है कि वो ठीक हो चुके थे. तो फिर संजय कैसे कैंसर की वजह से डिप्रेशन में जा सकता है? ऐसी बातें करके बस विभाग के उन अधिकारियों को बचाने की एक कोशिश है, जिनसे संजय परेशान था. मेरा भाई ऐसा इंसान नहीं था कि इतनी सी बात के लिए अपनी जान दे दे. वो तो बेहद शांत स्वभाव का था. उसे इस हद तक विभाग में प्रताड़ित किया गया कि उसने अपनी जान ही दे दी. हम चाहते हैं कि इस केस की उच्च स्तर पर जांच हो. तभी सच सबके सामने आएगा.
‘2018 में था संजय को कैंसर’
आगे धनंजय सिंह ने बताया- मुझसे तो संजय की बराबर बात होती रहती थी. संजय अपनी बातें हमें बताता था कि मैं परेशान हूं. अपनी बीवी अपर्णा को भी वो बताता था कि मैं बहुत परेशान हूं. हम तो उसे समझाते थे कि परेशान होने की जरूरत नहीं है. अच्छा समय हो या बुरा समय, एक न एक दिन कटता जरूर है. अभी बेशक तुम बुरे दौर से गुजर रहे हो, लेकिन जल्द ही अच्छा वक्त भी जरूर आएगा.
‘हम मानते हैं कि स्वास्थ्य को लेकर पहले जरूर वो परेशान था. लेकिन बाद में वो ठीक हो गया था. इससे पहले भी जहां उसने काम किया, वहां भी छोटी-मोटी दिक्कतें जरूर आती थीं. लेकिन इतने ज्यादा स्तर पर नहीं. 2018 में संजय को कैंसर था, लेकिन उसके बाद भी वो रेगुलर बेसिस पर चेकअप करवाता था. दो महीने पहले की रिपोर्ट में वो बिल्कुल स्वस्थ पाया गया था. तो ये बात बिल्कुल गलत है कि वो कैंसर के कारण डिप्रेशन में था.’
संजय को कौन अधिकारी प्रताड़ित करता था, इसका कभी उसने जिक्र नहीं किया. लेकिन अंतिम दिन में भी जो हमसे बात हुई थी, उसमें बताया था कि मैं अतिरिक्त चार्ज नहीं चाहता हूं. बस उसे हटा दिया जाए. लेकिन अधिकारियों ने उसे हटाया नहीं. हमने अभी कोई FIR दर्ज नहीं करवाई है. लेकिन विधिक सलाह लेकर हम आगे देखेंगे कि इस मामले में हमें क्या करना है.
‘एक शख्स से पूरा विभाग परेशान’
संजय के पुराने साथी और GST के रिटायर्ड एडिशनल कमिश्नर एसके गौतम ने बताया- संजय को मैं काफी अर्से से जानता था. वो काफी हंसमुख और कर्मठ व्यक्ति थे. उनकी मौत से कई अधिकारी भी दुखी हैं. मेरा कहना ये है कि जहां तक मुझे पता चला है कि विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी की कार्यप्रणाली की वजह से पूरे विभाग में असंतोष छाया हुआ है. उसका परिणाम ये हुआ कि संजय के घर में क्षति हुई, जिसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता. परेशान तो सभी लोग थे, लेकिन संजय ने तंग आकर अपनी जान ही दे दी.
‘मेरा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन है कि वो इस मामले की गोपनीय रूप से जांच करवाएं. मेरा दावा है कि यहां सिर्फ एक व्यक्ति के कारण सभी कर्मचारी दुखी हैं. एक क्षति तो हो गई है, लेकिन हम नहीं चाहते कि आगे किसी और के साथ भी ऐसा कुछ हो. इसलिए इसके लिए जांच कमेटी जरूर बैठाई जानी चाहिए.’
संजय की गिनती हमेशा अच्छे अधिकारियों में रही है. हमें भी कुछ सलाह चाहिए होती थी तो हम संजय से ही सलाह लेते थे. जबकि, उन्हें कोई भी काम सौंपा जाए तो वो उसे हमेशा पूरा करते थे. हमें बहुत ही ज्यादा सदमा लगा जब पता चला कि संजय ने सुसाइड कर लिया है. हम बस इस केस में निष्पक्ष जांच चाहते हैं.