हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार से फसल अवशेष प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाले 10 कृषि उपकरणों पर जीएसटी में छूट की मांग की है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है।
केंद्रीय मंत्रियों को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी कहा कि हरियाणा के किसान देश के अन्न भंडार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में पराली दहन एक महत्वपूर्ण समस्या के रूप में उभरी है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हरियाणा के किसान फसल अवशेष प्रबंधन में नई मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अगले वर्ष 2025 के लिए पराली की कार्य योजना तैयार की है। जिसमें फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की खरीद पर लगभग 200 करोड़ रुपये का अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। इन मशीनों की खरीद पर कुल 500 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है, जिसमें लगभग 60 करोड़ रुपये किसानों पर जीएसटी (12% की दर से) के रूप में अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
सीएम नायब सैनी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार व राज्य सरकार की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनों पर अनुदान प्रदान किया जा रहा है। जिससे 2023 की तुलना में पिछले वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में 39% की कमी दर्ज की गई।
सैनी ने इन मशीनों की खरीद पर जीएसटी छूट मांगी
सीएम सैनी ने रोटावेटर , डिस्क हैरो , कल्टीवेटर , जीरो ड्रिल , सुपरसीडर , स्ट्रॉ बेलर , हैरेक , स्लेशर , रीपर बाइंडर व ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रे पंप की खरीद में किसानों को जीएसटी में छूट देने की मांग की है। मुख्यमंत्री का कहना है कि अगर केंद्र सरकार यह छूट प्रदान करती है तो किसानों को इन तकनीकों और मशीनों के अधिक उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा और फसल अवशेषों के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण पर रोकथाम लग सकेगी।