Kargil Vijay Diwas 2025: खेतड़ी। हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है। वो दिन जब 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर करगिल युद्ध में ऐतिहासिक विजय हासिल की थी।
यह केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि भारत के जांबाज सपूतों की वीरता, बलिदान और देशभक्ति की अमर गाथा है। इस विजय के पीछे देश के हजारों जवानों की कुर्बानी है, जिनमें राजस्थान के भी सैकड़ों वीर सपूतों ने अपने प्राण मातृभूमि पर न्यौछावर कर दिए। इनमें से ही एक हैं शहीद लैंस नायक भगवान सिंह।
पति की शहादत पर गर्व: वीरांगना विजेश देवी
खेतड़ी के बंधा की ढाणी निवासी सेना मेडल विजेता शहीद लैंस नायक भगवान सिंह की वीरांगना विजेश देवी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि कहा कि मुझे अपने पति की शहादत पर गर्व है।
मेरे पति करगिल युद्ध में देश पर अपने प्राण न्यौछार करने वाले झुंझुनूं जिले के प्रथम करगिल शहीद थे। उन्होंने शहादत से पूर्व घुसपैठियों को मार गिराकर चौकी पर तिरंगा फहराया था। इसी कारण उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल से नवाजा गया।
विजेश देवी के पति की शहादत के समय बच्चों कमलदीप सिंह 8 वर्ष, भूपेन्द्रिसिंह 7 वर्ष तथा बेटी सुप्रिया 3 वर्ष की थे। उन्होंने कहा कि मैंने माता व पिता दोनों का प्यार देकर उनकी परवरिश की तथा अच्छी शिक्षा दिलवाई।लैंस नायक शहीद भगवान सिंह 27 राजपूत रेजीमेंट में कार्यरत थे।
16 पाक घुसपैठियों को मारकर चौकी पर तिरंगा फहराया
करगिल के सियाचीन ग्लेसियर थर्ड चौकी पर दुश्मनों का कब्जा था। वहां शहीद भगवान सिंह ने अपनी टुकड़ी के साथ ऑपरेशन विजय के तहत धावा बोला तथा वहा पर लगभग 16 पाक घुसपैठियों को मारकर चौकी पर तिरंगा फहराया।
तभी वहां एक बंकर में मौजूद दुश्मन ने 28 जून 1999 को गोलीबारी कर दी। जिससे उनके सीने में गोली लगी। जिसमें शहीद भगवान सिंह व उनका साथी सिपाही शेरसिंह इंदा शहीद हो गए।