Sunday, March 16, 2025
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लालू प्रसाद यादव के पोस्ट और तेजस्वी के बयान से बिहार की सियासत में नए समीकरण की ओर इशारा

पटना: बिहार की राजनीति में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता. एक दिन पहले ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यह बात कह कर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी थी कि नीतीश कुमार कब पलट जाएं, इधर हो जाएं, गारंटी नहीं. अब राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के होली पर किए गए सोशल मीडिया पोस्ट ने बिहार में सियासी चर्चाओं का बाजार फिर गर्म कर दिया है. खास बात यह कि, उनके ट्वीट मैं शब्दों की बाजीगरी ऐसी है जो बिहार की राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर काफी कुछ बयां कर जाती है. उनके पोस्ट में, ‘कहीं पर निगाहें और कहीं पर निशाना’ वाली बात भी साफ-साफ नजर आती है और उनके छिपे शब्दों में बड़ा ऑफर भी राजनीति के जानकार परख रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए होली पर लालू यादव की ओर से सबसे बड़ा सियासी ऑफर बता रहे हैं. लालू यादव ने अपने पोस्ट में क्या लिखा है यह आगे देखिये.

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने होली की बधाई देते हुए लिखा, ”हर पुरानी बात भूलकर आओ करें नई शुरुआत. प्रेम और अपनत्व के भाव से समाज में हो हर बात! सभी देशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं!” राजनीति के जानकारों ने लालू यादव के तीन लाइन के इस पोस्ट में सियासत के नजरिये से बड़ी बात ढूंढ ली है और इसे सीधे सीएम नीतीश कुमार को दोबारा ऑफर दिये जाने से जोड़ दिया है. दरअसल, इसका एक सिरा तेजस्वी यादव की उस बात से भी जुड़ता है जब बीते 12 मार्च को विधान परिषद में राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के बीच बुधवार को बजट सत्र के दौरान तीखी बहस के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सीएम को लेकर बड़ा बयान दिया था. लालू यादव से तुलना करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार कब पलट जाएं, इधर हो जाएं… इसकी कोई गारंटी नहीं है.

जेडीयू-बीजेपी के अलग-अलग रुख से सियासी संदेश!
वहीं, इसका दूसरा सिरा जेडीयू और बीजेपी के बीच कुछ मुद्दों को लेकर रुख में अंतर से भी जुड़ता है. दरअसल,  हाल के दिनों में कई मुद्दों पर जेडीयू और बीजेपी के स्टैंड अलग-अलग दिख रहे हैं. अब जब बिहार की राजनीति में कई मसलों पर बीजेपी और जदयू के बीच मुद्दों के आधार पर अलग-अलग रुख (खास तौर पर सांप्रदायिक मुद्दों पर) देखने को मिल रहे हैं, ऐसे में लालू यादव के पोस्ट और तेजस्वी यादव के बयान ने बिहार की राजनीति में फिर गर्माहट ला दी है. बता दें कि बिहार में औरंगजेब, हिन्दू राष्ट्र, बिहार हिन्दू राज्य, बाबा बागेश्वर, होली जुमे की नमाज पर बीजेपी नेताओं की तरफ से हो रही बयानबाजी से जेडीयू असहज दिख रही है. यही नहीं नीतीश की सेक्युलर छवि धूमिल हो सकती है इसका डर भी जेडीयू को सताने लगा है. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा का बयान कुछ इस ओर इशारा कर रहा है कि जेडीयू बीजेपी की राजनीति से कुछ तो असहज जरूर है.

बीजेपी पर तल्ख और सद्भाव की राजनीति की बात का इशारा
हाल में ही जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने यूपी के संभल में मस्जिदों को ढंकने की बात पर ऐतराज जताया था. इसके बाद यह भी कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव का एजेंडा सुशासन और विकास है NDA को इसी पर फोकस करना है. इन्हीं को लेकर चुनाव में जाना है हिन्दू-मुस्लिम एजेंडा नहीं है. JDU नेता ने कहा था कि यह देश हिंदू राष्ट्र नहीं धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. जिसमें सभी समुदाय के लोग मिल जुलकर रहते हैं. बिहार में भी यही मॉडल है. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने चेतावनी देते हुए कहा था कि-विवादास्पद मुद्दा उठाना व उस पर बयानबाजी करना तुंरत बंद करें. नीतीश राज में माहौल खराब करने वालों पर कठोरतम कार्रवाई होगी. नीतीश ने कभी भी सांप्रदायिकता के साथ समझौता नहीं किया है. बड़बोले लोग अनाप शनाप बयान दे रहे हैं. वह भूले नहीं की नीतीश राज है.

बीजेपी के तेवर भी सख्त, जेडीयू और नीतीश के साथ की बात भी
वहीं, जेडीयू की चेतावनी पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने जवाब देते हुए कहा था कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ करने वालों पर कठोरतम कार्रवाई होगी.देश हिंदू राष्ट्र है और इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए. औरंगजेब को जो लोग पूजते हैं उन पर एक्शन होना चाहिए. माहौल बिगाड़ने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा. होली व जुमे की नमाज साथ है. किसी ने गड़बड़ी की तो बहुत बुरा अंजाम होगा. बीजेपी जेडीयू साथ है. पीएम मोदी और नीतीश मजबूती से साथ हैं. बीजेपी के जेडीयू के साथ के दावों के बीच आरजेडी वह लाइन पकड़ रही है जिसमें जेडीयू बीजेपी के साथ असहज है. अब जब लालू यादव ने यह बयान दिया है कि- हर पुरानी बात भूलकर आओ करें नई शुरुआत… राजनीति के जानकार इसको उस ऑफर से जोड़ रहे हैं जब बीते 2 जनवरी को लालू प्रसाद यादव ने सीएम नीतीश कुमार को महागठबंधन में आने का खुला ऑफर दे दिया था.

नीतीश कुमार के ऑफर पर कन्फ्यूज्ड लालू परिवार
बीते दो जनवरी को लालू यादव ने कहा था-नीतीश कुमार के लिए हमारा दरवाजा खुला हुआ है. नीतीश को भी चाहिए कि वह अपना दरवाजा खोल कर रखें,इसके बाद भाई वीरेंद्र और शक्ति सिंह यादव के सीएम नीतीश के महागठबंधन में आने वाले बयान से जोड़ा गया और राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने भी सीएम नीतीश के लिए अपने घर का दरवाजा हमेशा खुला रहने की बात कही. हालांकि, बाद में तब इस मामले में ट्विस्ट आ गया जब लेकिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने लालू के प्रस्ताव को हलका कर दिया.तब तेजस्वी यादव ने कहा था कि मीडिया वालों के सामने लालूजी ऐसे ही कुछ बोल देते हैं. दरवाजा तो बंद ही है. तेजस्वी के इनकार के बाद अब 13 मार्च को उनकी कही गई यह बात कि-नीतीश कुमार कभी भी इधर आ जाएंगे, राजनीति के जानकार बड़ी बारीकी से परख रहे हैं.

क्या बिहार की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है?
वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं, तेजस्वी यादव ऊपरी तौर पर भले ही अब तक इनकार करते रहे हों, लेकिन लालू प्रसाद यादव के बार-बार के ऑफर से यह संकेत तो मिलते ही हैं कि अगर नीतीश कुमार हामी भर दें तो लालू प्रसाद यादव के कुनबे में इसको लेकर कोई भी विरोध नहीं होगा. निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख पर ही काफी कुछ निर्भर करता है कि उनकी राजनीति की अगली दिशा क्या होगी. लेकिन, फिलहाल यह साफ है कि वर्तमान में कुछ मुद्दों पर रुख जरूर अलग-अलग देखने को मिलते हैं, बावजूद इसके बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्यसभा सांसद संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह जैसे जदयू के शीर्ष नेतृत्व के बीच में समन्वय स्थापित है. ऐसे में लालू यादव के ऑफर के बीच भी यह कहना जल्दबाजी होगी कि बिहार की राजनीति में फिलहाल कोई परिवर्तन के आसार हैं. लेकिन, सियासत है और इसमें कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता. इंतजार करिए नए ट्विस्ट का.

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