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अलग कमरे में रहना मानसिक क्रूरता, पत्नी की अपील खारिज कर हाईकोर्ट ने दी तलाक की मंजूरी

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में यह निर्णय दिया है कि यदि पत्नी पति के साथ एक ही घर में रहते हुए अलग कमरे में रहती है, तो यह पति के साथ मानसिक क्रूरता मानी जाएगी। इस मामले में पति ने फैमिली कोर्ट से तलाक की मांग की थी, जिसे मंजूर कर लिया गया था। पत्नी ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन वह पति द्वारा लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर सकी। हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर दी और फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया।
यह मामला दुर्ग का है, जहां अप्रैल 2021 में दोनों की शादी हुई थी। पति के अनुसार, शादी के बाद पत्नी का व्यवहार बदल गया। उसने पति के चरित्र पर शक करना शुरू कर दिया और शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया। पत्नी ने कहा कि उसे शक है कि पति का किसी दूसरी महिला से संबंध है। विवाद बढऩे के बाद घरवालों ने सुलह की कोशिश की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। दोनों एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने लगे।
पत्नी ने हाईकोर्ट में अपने लिखित बयान में पति के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उसने कहा कि शादी के बाद दोनों ने सामान्य वैवाहिक जीवन बिताया और अक्टूबर 2021 तक कोई समस्या नहीं थी। लेकिन वह यह साबित नहीं कर पाई कि पति का किसी और से संबंध था। फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तलाक की मंजूरी दे दी थी। हाईकोर्ट में पति ने बताया कि पत्नी के बेबुनियाद आरोपों ने उसे मानसिक रूप से परेशान कर दिया था, जिसके चलते उसने तलाक का फैसला लिया।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सभी तथ्यों और दोनों पक्षों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया और पत्नी की अपील को खारिज कर दिया।
 

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