कालों के काल बाबा महाकाल आज भस्म आरती के दौरान पूजन सामग्री से श्रृंगारित हुए। इस दौरान उन्होंने अपने सिर पर चंद्र और मस्तक पर त्रिपुंड लगाया। श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुबह 4 बजे हुई भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को रुद्राक्ष की माला भी अर्पित की गई। इस श्रृंगार के बाद उन्हें भस्म रमाई गई। इसके बाद भक्तों ने इन दिव्य दर्शनों का लाभ लिया और जय श्री महाकाल का उद्घोष किया।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर शनिवार को बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद सबसे पहले भगवान को गर्म जल से स्नान करवाकर दूध, दही, शहद, शक्कर, घी आदि पंचामृत से स्नान कराया गया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया।
पंचामृत पूजन के बाद भगवान महाकाल का पूजन सामग्री से आकर्षक स्वरूप में श्रृंगार किया गया। भक्तों ने बाबा महाकाल की भक्ति में लीन होकर दर्शन किए और जय श्री महाकाल का उद्घोष किया। इसके बाद बाबा महाकाल को महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा भस्म रमाई गई और फिर कपूर आरती की गई।
ऐसी होती है श्रृंगार सामग्री की व्यवस्था
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन धूमधाम से भस्म आरती की जाती है। जिसके तहत बाबा महाकाल का प्रतिदिन विभिन्न स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है। बाबा महाकाल के श्रृंगार में उपयोग की जाने वाली सामग्री को लेकर जब महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि श्रृंगार पर होने वाले संपूर्ण खर्च का वहन श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति द्वारा किया जाता है। मंदिर में प्रतिदिन ही दान के रूप में श्रद्धालु बाबा महाकाल को रजत मुकुट, मुंडमाला, जलधारी और श्रृंगार सामग्री अर्पित करते हैं। जिसे कोठार शाखा में जमा करवा दिया जाता है और फिर इस सामग्री का उपयोग भगवान के श्रृंगार में किया जाता है।