इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट में घोटाले का मामला सामने आया है. यहां मेट्रो शेड में 5 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है. इंदौर मेट्रो में लगे शेड को लेकर एक्सपर्टों का कहना है कि इंदौर में लगी सामान्य रूफ शीट इतनी कमजोर है कि वह 50 किमी की रफ्तार वाली हवा भी नहीं झेल पाएगी. वहीं राजधानी भोपाल में लगी सीम शीट 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवा का दबाव सहन कर सकती है.
मामले का खुलासा होने के बाद मेट्रो के एमडी एस कृष्ण चैतन्य ने डिपो के शेड से संबंधित फाइलें बुलवा ली हैं. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि जब टैंडर में स्टैंडिंग सीम शीट का प्रावधान था तो उसके स्थान पर नॉर्मल शीट कैसे लगी. यदि ऐसी अनुमति दी गई है तो किस जिम्मेदार अधिकारी ने किस आधार पर इसकी मंजूरी दी.
ठेकेदार से की जाएगी रिकवरी
इंदौर मेट्रो में लगने वाली नॉर्मल शीट के रेट क्या कोट किए गए हैं. अब तक इसको लेकर कितने का भुगतान हो चुका है? अधिकारियों के मुताबिक, ठेकेदार को यदि 1300 रुपए स्के. मीटर के रेट से भुगतान हो गया होगा तो उसकी रिकवरी भी की जाएगी.
जानिए कहां लगाना होता है सीम सीट
एक्सपर्ट के मुताबिक, ऐसे बड़े स्ट्रक्चर जहां पर कर्व होते हैं, वहां पर स्टैंडिंग सीम शीट ही लगाई जाती है. इसी के आधार पर राजधानी भोपाल मेट्रो मेट्रो के डिपो में भीसीम शेड सीम शीट लगाई गई है. सीम शेड सीम शीट एक स्पान में एक ही शीट लगती है और कर्व को कंप्यूटराइज्ड मशीन से मोल्ड किया जाता है. जो 30 साल की गारंटी के साथ आता है. स्टैंडिंग सीम शीट 140 किमी प्रति घंटे हवा की रफ्तार झेल सकती है.
वहीं, इंदौर मेट्रो में नॉर्मल शीट का यूज किया गया है. नार्मल सीट की मजबूती स्क्रू पर निर्भर होती है. इसकी कोई गांरटी नहीं होती है. कई बार 40-45 किमी प्रति घंटे तक की गति की हवा में ही इन शीट्स (चद्दरें) उड़ने लगती हैं.