भोपाल। मध्यप्रदेश में कई निजी विश्वविद्यालयों में लंबे समय से फर्जीवाड़ा चल रहा है। प्रदेश में 53 निजी विश्वविद्यालय हैं, जिसमें से मप्र निजी विनियामक आयोग ने 32 विश्वविद्यालयों के कुलपति ( कुल गुरूओं ) को अमान्य करार देते हुए तत्काल हटाने के निर्देश भी दिए थे। लेकिन निजी विश्वविद्यालय यूजीसी की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहें है। यह आरोप एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने लगाये है। इसके साथ ही संगठन ने इसकी शिकायत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चैयरमैन से की हैं। रवि परमार ने शिकायत में कहा कि मध्यप्रदेश में शिक्षा माफियाओं द्वारा फर्जी निजी विश्वविद्यालय संचालित किए जा रहें हैं, जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के विरुद्ध संचालित हो रहे हैं। मध्यप्रदेश के 70 फीसदी से ज्यादा निजी विश्वविद्यालय सिर्फ कागजों में संचालित हो रहें है, इन विश्वविद्यालयों के पास ना तो नियमानुसार स्टाफ हैं, ना नियमानुसार भवन हैं। वहीं प्रदेश के 32 विश्वविद्यालय में तो कुलपति भी अयोग्य हैं, पिछले दिनों मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, भोपाल द्वारा नोटिस जारी कर 15 दिन के अंदर योग्य कुलपति नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। परमार का कहना है कि इसी से अंदाजा लगाया जा सकता हैं, कि जब 32 विश्वविद्यालयों में योग्य कुलपति ही नहीं है, तो फिर अन्य स्टाफ कैसे योग्य होंगे। परमार ने कहा कि प्रदेश के कई विश्वविद्यालय तो फर्जी पते पर संचालित हो रहे है। जैसें कि छात्र-छात्राओं के एडमिशन भोपाल शहर बोल कर लिया जाता हैं, जबकि कालेज रायसेन विदिशा सीहोर में संचालित हो रहा होता हैं, और फर्जी विश्वविद्यालयों द्वारा सत्र में प्रवेश का कोई समय निर्धारित नहीं हैं, साल भर प्रवेश लिए जाते हैं, और कई फर्जी विश्वविद्यालयों का तो डिग्री बेचने का गोरखधंधा भी खुलेआम चल रहा हैं। मध्यप्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों द्वारा छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा हैं। परमार ने मध्यप्रदेश के समस्त निजी विश्वविद्यालयों की जांच कर फर्जी विश्वविद्यालयों को बंद कर कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग की हैं।
एमपी के निजी विश्वविद्यालयों के फर्जीवाड़े की शिकायत दिल्ली पहुंची
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