एक जमाना था जब राजगढ़ क्षेत्र में दिग्विजय सिंह और किले के नाम पर प्रत्याशी चुनाव जीतकर आते थे। लेकिन पिछले एक दशक से यहां राजशाही की जगह लोकशाही हावी रही है। कांग्रेस का गढ रही राजगढ सीट पिछले दश्क से कांग्रेस को नहीं मिल रही है। ऐसे में पार्टी यह सीट हथियाने के लिए एक बार िफर अपने दिग्गज नेता और प्रदेश् के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर भरोसा जताया है। कांग्रेस की झोली में राजगढ सीट देने के लिए 33 साल बाद दिग्विजय सिंह मैदान में हैं और उनका मुकाबला दो बार से सांसद चुने जा रहे रोडमल नागर से है। यह मुकाबला बेहद दिलचस्प और टक्कर वाला होगा और इस मुकाबले पर पूरे प्रदेश की नहीं बल्कि देश की नजरें भी होंगी। क्योंकि यह सीट आनेवाले समय में कांग्रेस में दिग्विजय सिंह का भविष्य भी तय कर देगी। दिग्विजय सिंह इस सीट पर पिछला चुनाव 1991 में लड़ा था। पहले इन्कार कर युवा को आगे बढ़ाने के बयान देने के बाद दिग्विजय सिंह पार्टी के आदेश पर फिर चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं। ऐसे में यह लोकसभा चुनाव राजगढ़ में किले को एक बार फिर मजबूती से स्थापित करने का एक मौका भी है। अब किला मजबूत होता है या किले की दिवारें कमजोर होकर दरकती हैं यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही तय होगा। राजगढ में अधिकांश समय राघौगढ़ राजपरिवार का ही कब्जा रहा है। पहली बार दिग्विजय सिंह स्वयं 1984 में लोकसभा चुनाव लड़े थे। तब से लेकर 2014 तक किले का यहां सीधा दखल रहा। दो बार दिग्विजय सिंह खुद सांसद चुने गए, तो पांच बार उनके अनुज लक्ष्मण सिंह सांसद बने, 2009 के चुनाव में राजा के खास सिपहसालार नारायण सिंह आमलाबे भी लोकसभा पहुंचने में कामयाब हुए थे, हालांकि उस चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर उतरे लक्ष्मण सिंह को हराया था।
पिछले दो चुनाव में मिली हार
पिछले दो चुनाव से यहां किले के उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा। 2014 के चुनाव में किले ने नारायण सिंह आमलाबे को लगातार दूसरी बार मैदान में उतारा, तो उन्हें भाजपा ने रोडमल नागर ने हराया। इसके बाद 2019 के चुनाव में किले ने मोना सुस्तानी पर भरोसा जताया तो भाजपा ने फिर नागर को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में भाजपा और रोडमल नागर और ताकतवर होकर उभरे और जीत हासिल की। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के उम्मीवारों को भाजपा उम्मीदवारों के सामने बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के सिर्फ दो विधायक दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह व सुसनेर से भैरू सिंह बापू ही चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। जबकि छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है।