बैतूल: एक पत्थर की चोरी के शक में एक परिवार को समाज की पंचायत ने सामाजिक बहिष्कार का फैसला सुना दिया. इस फैसले के बाद समाज के लोगों ने परिवार से संबंध खत्म कर दिया है. अब न कोई इस परिवार के लोगों से मिलता है और न ही किसी कार्य में बुलाता है. अगर कोई इस फैसले के खिलाफ जाकर इस परिवार से मिलता या बता करता है, तो समाज की पंचायत उनके खिलाफ भी कार्रवाई करती है. साथ ही उन पर जुर्माना लगाया जाता है.
चोरी के आरोप में समाज से बहिष्कार
यह मामला बैतूल जिले के शाहपुर थाने के भयावाड़ी गांव का है. जहां मनोहरलाल बढ़िया पर उसके भाई ने एक फर्सी (पत्थर) चोरी का आरोप लगाया था. जिसके बाद गांव में समाज की पंचायत बुलाई गई. इस पंचायत ने एक तरफा फैसला लेते हुए मनोहरलाल बढ़िया का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था. साथ ही समाज के लोगों से कहा कि न तो कोई मनोहरलाल बढ़िया के घर जाएगा और न तो कोई अपने घर किसी भी कार्यक्रम में उन्हें बुलायेगा, जो कोई भी फैसले के खिलाफ जाएगा उस पर भी कार्रवाई की जाएगी.
पंचायत बैठाकर लिया निर्णय
मनोहरलाल बढ़िया ने बताया कि "छोटे भाई ने मुझ पर पत्थर चोरी का आरोप लगाया था, जबकि मैं करीब 15 से 20 साल पहले पत्थर खरीद कर लाया था. छोटे भाई ने चोरी का आरोप लगाते हुए पंचायत में फैसला करने की बात कही. मैंने उससे कहा कि यहीं फैसला कर लो, लेकिन भाई नहीं माना और शाम को पंचायत बुलवाई गई. मैं किसी कारण वश पंचायत नहीं जा पाया था, जिसकी सूचना भी 4 घंटे पहले ही दी थी. इसके बाद भी पंचायत ने बिना मेरी बात सुनने मेरे परिवार के खिलाफ फैसला सुना दिया."
शादी में शामिल हुए लोगों पर लगा जुर्माना
मनोहरलाल बढ़िया के बेटे ब्रजेश ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, " पिता जी पर चाचा ने पत्थर चोरी का झूठा आरोप लगाया था. जिसकी सुनवाई करते हुए पंचायत ने मेरे परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया था. जिसके बाद से कोई हमे अपने यहां कार्यक्रम में नहीं बुलाता है और न कोई हमारे घर में आता है. करीब 3 महीने पहले मेरी बहन की शादी हुई थी. जिसमें गांव से कोई नहीं आया और जो 4 लोग आए थे. उन पर भी जुर्माना लगाया गया था."
समाज की नहीं सुनी इसलिए लिया फैसला
बनारस वर्मा ने कहा, " भैया मनोहरलाल ने पत्थर चोरी की थी. पंचायत बुलाई थी, जिसमें पंचों में बीच मनोहरलाल भैया नहीं पहुंचे थे. इसलिए पंचों ने बोल दिया कोई उसके घर नहीं जाएगा. उसने पंचों की नहीं सुनी और बैठक में नहीं आया. इसलिए उसकी बेटी की शादी में भी कोई नहीं गया था."
समाज ने लिया मिलकर फैसला
वहीं, इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने समाज की पंचायत के पंच प्रमुख अशोक पटेल से बात की तो उनका कहना था कि "सभी ने मिलकर निर्णय लिया है. इसलिए सभी समाज के लोग मिलकर ही कुछ कहेंगे. मैंने किसी का बहिष्कार नहीं किया है".