भोपाल । मध्य प्रदेश की सियासत में बिजली बड़ा मुद्दा रही है। प्रदेश सरकार ने बिजली कंपनियों की स्थिति को सुधारने के लिए कई स्तरों पर प्रयास किया है, लेकिन स्थिति यह है कॉरपोरेट के चक्कर में कंपनियां लगातार घाटे के जंजाल में फंसती जा रही है। दरअसल, बड़े कॉरपोरेट ने बिजली कंपनी के नियमों का गलत फायदा लेकर करोड़ों रुपए का घाटा पहुंचाया। सीएजी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि राज्य सरकार ने राजस्व कर्मी का प्रबंधन करने भारत सरकार से अधिक मात्रा में आंतरिक ऋण एवं कर्ज लेकर किया है। पिछले वर्ष की तुलना में 2020-21 के दौरान आंतरिक ऋण 54.242 करोड़ बड़ा है। साथ ही केंद्र से 10929 करोड़ रुपए अग्रिम भी लिया गया कर्ज एवं अग्रिम में वृद्धि ऋण प्राप्त के रूप में प्रदान किए गए वस्तु एवं सेवा कर मुआवजे के बदले थी। इसी तरह लोकप्रिय 6471 करोड़ रुपए था जो पिछले वर्ष की तुलना में 89.65 प्रतिशत अधिक रहा। बजट अनुमानों में राजस्व घाटा वन 17514 करोड़ अपेक्षित था लेकिन प्राप्त नहीं किया जा सका। को विद महामारी के दौरान सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में 1430 करोड़ों रुपए खर्च किए जो लॉक डाउन की अवध में 2199 करोड़ तक बढ़ा है। जबकि महामारी से संबंधित उपायों पर 256.82 करोड़ों रुपए खर्च किए।
4 साल में घाटा 17302 करोड़ बढ़ा
विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले 4 साल में बिजली कंपनियों का घाटा 17302 करोड रुपए बढ़ गया। 31 मार्च 2016 को यह घाटा 35667 करोड़ था 31 मार्च 2020 में बढ़कर 52978 करोड रुपए हो गया। मंडीदीप की एचईजी का मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के साथ 44000 केवीए का अनुबंध था। जनवरी 2018 तक कंपनी की एचटी टैरिफ अनुसूची की टैरिफ श्रेणी एच वी 3.1 में बिलिंग की जा रही थी। उपभोक्ता के अनुरोध पर कंपनी ने उद्योग की टैरिफ श्रेणी को एचवी 3.4 में बदल दिया। इन दोनों श्रेणियों में उपभोक्ता के लिए जाने बिजली प्रभार में अंतर था। बिजली कंपनी ने बिलिंग की श्रेणियों में बदलाव करने के लिए जरूरी अनुमति तक नहीं ली। इसके कारण कंपनी को फरवरी 18 से सितंबर 20 तक कुल 61.81 करोड़ का नुकसान हुआ। जल संसाधन विभाग राजगढ़ को बिजली उपकरण उपलब्ध कराने में मध्य क्षेत्रीय विद्युत वितरण कंपनी को 11.55 करोड़ का नुकसान हुआ। ओ एस पी नगर मंडल धामनोद को बिजली कनेक्शन देने में विलंब हुआ। इससे मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को 19.44 करोड़ का नुकसान हुआ। बिजली का बिल ना देने के बाद भी दो कंपनियों हिंदी सिंटेक्स लिमिटेड और मे. वैष्णव फाइबर लिमिटेड के बिजली कनेक्शन नहीं काटने से 10.89 करोड़ का नुकसान हुआ।
लाइन लॉस से बिगड़ी हालत
दूसरी तरफ प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने माना कि लाइन लॉस और घाटे में कंपनियां बिगड़ रही हैं। लेकिन सुधार कार्यक्रमों के जरिए बिजली कंपनियों की व्यवस्था बदलने की कोशिश की जा रही है। ट्रिपिंग में कमी आई है। मेंटेनेंस के समय में भी कमी आई है। सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। बिजली कंपनियों में गुजरात मॉडल लागू करने की मांग पर ऊर्जा मंत्री ने कहा तकनीकी अमले की कमी को पूरा किया जाएगा, ताकि प्रदेश की बिजली कंपनियों की रेटिंग में सुधार हो सके।