इस अनोखी परंपरा में महिलाओं के कपड़े पहने पुरुष दिव्य चमायाविलक्कू (पारंपरिक दीपक) धारण करते हैं और पीठासीन देवता के प्रति अपनी भक्ति के प्रतीक के रूप में मंदिर के चारों ओर घूमते हैं.भारत में अनगिनत त्योहार मनाए जाते हैं. अलग-अलग राज्यों, धर्म और समुदायों के त्योहार भी अलग-अलग हैं. इनमें से बड़े त्योहारों में आमतौर पर लोग नए कपड़े पहनकर उसे सेलिब्रेट करते हैं. इसमें महिलाएं अपने कपड़े पहनती हैं और पुरुष अपने, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे त्योहार के बारे में सुना है, जिसमें पुरुष साड़ी पहनकर महिलाओं की तरह तैयार होते हैं और एक अनोखे अनुष्ठान में शामिल होते हैं.
फिल्मों में जब कोई एक्टर, महिला का रूप लेकर स्क्रीन पर आता है तो लोग उस पर हंसते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि भारत में एक खास त्योहार मनाया जाता है जिसमें पुरुष, असल में औरतों की तरह तैयार होते हैं! उनके ऊपर ना ही कोई हंसता है, ना ही उनका मजाक बनाया जाता है, बल्कि ये उनकी आस्था और भगवान में विश्वास का अनोखा नजारा है जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं. हम बात कर रहे हैं केरल के चमयाविलक्कू त्योहार (Chamayavilakku festival) की.
यह जानकर बेशक आपको हैरानी हो रही हो, लेकिन ये सच है. केरल के कोल्लम जिले में ऐसा ही एक त्योहार आता है, जिसमें पुरुष महिलाओं के कपड़े पहनकर और उन्हीं की तरह सजकर इसमें शामिल होते हैं. इस त्योहार का नाम चमायाविलाक्कू उत्सव है. भारतीय रेलवे के एक अधिकारी अनंत रूपनगुडी ने इस त्योहार के दौरान महिला का रूप लिए एक पुरुष की तस्वीर ट्विटर पर शेयर की. इस फोटो को देखकर हर कोई दंग है.
महिलाओं की तरह तैयार होते हैं पुरुष
इस त्योहार को रोशनी का उत्सव माना जाता है. इसे मलयालम महीने मीनम के 10वें और 11वें दिन मनाया जाता है यानी मार्च के दूसरे भाग में. त्योहार में पुरुष, महिलाओं की तरह सजते हैं और फिर मशाल या दीया लेकर निकलते हैं. वो साड़ी पहनते हैं, गहने पहनते हैं, और मेकअप भी औरतों की ही तरह करते हैं. इस त्योहार के दिन समलैंगिक लोग भी इसका हिस्सा बनते हैं क्योंकि यही एक त्योहार है जिसमें वो खुलकर अपने सच को अपना सकते हैं.
एक अधिकारी ने ट्वीट कर बताया त्योहार के बारे में
अनंत रूपनगुडी ने अपने इस ट्वीट में लिखा,“केरल में कोल्लम जिले के कोट्टमकुलकारा में देवी मंदिर में एक परंपरा है जिसे चमायाविलक्कू उत्सव कहा जाता है. यह त्योहार पुरुषों के जरिये मनाया जाता है. इसमें पुरुष महिलाओं का रूप लेते हैं. वे महिलाओं के कपड़े पहनते हैं, उन्हीं की तरह सारे शृंगार करते हैं. यह तस्वीर उस व्यक्ति की है जिसने इस त्योहार में शामिल होकर प्रतियोगिता में मेकअप के लिए पहला पुरस्कार जीता था.”
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग सबसे ज्यादा जुटते हैं
महिलाओं के रूप में कपड़े पहने पुरुष दिव्य चमायाविलक्कू (पारंपरिक दीपक) धारण करते हैं और पीठासीन देवता के प्रति अपनी भक्ति के प्रतीक के रूप में मंदिर के चारों ओर घूमते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. मौजूदा समय में यह त्योहार केरल में ट्रांसजेंडर समुदाय का सबसे बड़ा जमावड़ा बन गया है क्योंकि यह उन्हें अपनी पहचान का जश्न मनाने के लिए एक जगह प्रदान करता है.
हाथ में दीपक रखकर निकालते हैं जुलूस
इस त्योहार को कोट्टनकुलंगारा चमयाविलक्कू – रोशनी का एक कार्निवल कहा जाता है और यह मलयालम महीने के 10वें और 11वें दिन, मीनम, मार्च के दूसरे भाग में मनाया जाता है. इस त्योहार में महिलाओं के रूप में सजे पुरुषों के हाथों में दीपक रखकर जुलूस निकाले जाते हैं. राज्य भर के पुरुष साड़ी पहनते हैं, आभूषण पहनते हैं और शृंगार करते हैं और इस अनूठी रस्म में हिस्सा लेते हैं.दीया लेकर निकले पुरुष, मंदिर की परिक्रमा करते हैं और भगवान के प्रति अपनी आस्था दर्शाते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं. सोशल मीडिया पर शेयर की गई फोटो पर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. बहुत से लोगों को तो यकीन ही नहीं आ रहा है कि वो महिला नहीं, पुरुष है. एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें पुरुष, औरत बनकर तैयार हुए नजर आ रहे हैं.
पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से हो रहा वायरल
अनंत रूपनगुडी ने इस पोस्ट को सोमवार को ट्वीट किया था. अब तक इसे 2,800 से अधिक लाइक्स मिल चुके हैं. बड़ी संख्या में लोग इसे शेयर और रीट्विट कर रहे हैं. वहीं कई लोग ऐसे हैं जो फोटो देखकर हैरान हो रहे हैं. एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “मैंने कभी अनुमान नहीं लगाया होगा. यह पहली बार में अविश्वसनीय है, लेकिन जैसा कि मैंने और पढ़ा है यह सच और पुरानी परंपरा का पालन करता है. यह त्योहार हर साल 25 मार्च के आसपास केरल के कोल्लम के पास एक मंदिर में मनाया जाता है.
Here is a video that's getting viral from this unique tradition pic.twitter.com/3qKHA7ggzk
— Arvind (@tweet_arvi) March 27, 2023