भारतीय रेलवे (Indian Railways) को देश की जीवन रेखा कहा जाता है. भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है, जिसके जरिए करोड़ो लोग रोजाना एक जगह से दूसरी जगह पर आते-जाते हैं. लोगों को रोजगार देने के मामले में भी भारतीय रेलवे दुनिया में नंबर- 1 पर हैं. आपको शायद पता नहीं होगा कि भारतीय रेलवे केवल यात्रियों और मालगाड़ी का ही परिवहन नहीं करती बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा चलता-फिरता पूरा अस्पताल भी चलाती है.
मुंबई से हुई थी इस ट्रेन की शुरुआत
भारतीय रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक चलता-फिरता अस्पताल कही जाने वाली इस स्पेशल ट्रेन का नाम ‘लाइफलाइन एक्सप्रेस’ (Lifeline Express Trian) है. रेलवे ने जुलाई 1991 में मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से इस ट्रेन की शुरुआत की थी. शुरू में इस ट्रेन का नाम जीवन रेखा एक्सप्रेस था, जो बाद में लाइफलाइन एक्सप्रेस हो गया. यह ट्रेन देश के उन दूर दराज के इलाकों में मेडिकल सुविधा पहुंचाने के लिए शुरू की गई है, जहां पर कोई बड़ा अस्पताल नहीं है या फिर वहां पर डॉक्टर-स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है.
ट्रेन में मौजूद हैं अस्पताल की तमाम सुविधाएं
इस ट्रेन में वे सब सुविधाएं मौजूद हैं, जो किसी सामान्य अस्पताल में होनी चाहिए. यह पूरी ट्रेन एक चलते-फिरते अस्पताल के रूप में डिजाइन की गई है. इसमें ऑपरेशन थियेटर, जांच के लिए आधुनिक मशीनें, पेशेंट्स के लिए बेड और मरीजों का इलाज करने के लिए डॉक्टर-पैरा मेडिकल स्टाफ हैं. ट्रेन के हर डिब्बे को मेडिकल वार्ड, पावर जनरेटर, ऑक्सीजन और मेडिकल सुविधाओं से लैस किया गया है. इसके साथ ही इस मेडिकल ट्रेन में पैंट्री कार की सुविधा भी जोड़ी गई है.
यह दुनिया की पहली और एकमात्र ऐसी हॉस्पिटल ट्रेन है, जो देश के दूर-दराज इलाकों में जाकर जरूरतमंद मरीजों का फ्री में इलाज करती है. फिलहाल यह ट्रेन असम के बदरपुर स्टेशन पर खड़ी है और वहां पर लोगों का इलाज कर रही है.
नियमित रूप से करती है मूवमेंट
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक इस ट्रेन में 2 मॉर्डन ऑपरेशन थियेटर, 5 ऑपरेटिंग टेबल हैं. ट्रेन का हर कोच एयर कंडीशंड है. नसबंदी प्रोग्राम को बढ़ावा देने के लिए भी ट्रेन में एक स्पेशल कोच है, जहां पर महिला-पुरुषों का ऑपरेशन कर उन्हें एडमिट किया जाता है. पिछले 32 सालों से चल रही यह ट्रेन देश के हर हिस्से को कवर कर चुकी है और नियमित रूप से पिछड़े इलाकों में जाती रहती है.
मरीजों के इलाज से लेकर सर्जरी तक
इस ट्रेन में कुल 7 कोच हैं. अपने शेड्यूल के मुताबिक यह ट्रेन अलग-अलग राज्यों में जाकर वहां के स्टेशनों पर पड़ाव डालती है. फिर वहां के लोग अपना इलाज करवाने के लिए चलते-फिरते अस्पताल में पहुंचते हैं. इस ट्रेन को भारतीय रेलवे इंपैक्ट इंडिया फाउंडेशन के साथ मिलकर चलाती है. इस ट्रेन में रूटीन चेक अप के अलावा गंभीर मरीजों की सर्जरी और दूसरे इलाज भी किए जाते हैं.
हादसा होने पर चलती है ARME ट्रेन
अगर कोई रेल हादसा हो जाता है, वहां पर घायलों के इलाज के लिए लाइफलाइन एक्सप्रेस को नहीं भेजा जाता है. इसकी बजाय दुर्घटना राहत चिकित्सा उपकरण ट्रेन (Accident Relief Medical Equipment / ARME) का इस्तेमाल सहायता पहुंचाने के लिए किया जाता है. मेडिकल सुविधाओं से युक्त इस ट्रेन में वो सभी सामान होता है, जो इलाज के लिए जरूरी होता है. इस ट्रेन को सभी ट्रेनों से अधिक तवज्जो दी जाती है. इसके आगे यदि राजधानी या शताब्दी जैसी ट्रेनें भी चल रही होंगी, तो उन्हें रोककर इस ट्रेन को रास्ता दिया जाता है. यह भारतीय रेलवे की सबसे High Priority ट्रेन है