बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच भड़की हिंसा में अब तक 14 पुलिसकर्मियों समेत करीब 300 लोगों की जान चली गई है। हिंसा में हजारों लोग घायल हुए हैं। बांग्लादेश में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पूरे देश में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही प्रदर्शन को दबाने के लिए देश में इंटरनेट सेवा पर बैन लगा दिया गया है। हाईवे और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले छात्रों पर पुलिस गोली मारने के साथ में आंसू गैस के गोले छोड़ रही है।
प्रदर्शनकारियों की पुलिस से 20 जिलों में झड़प
छात्र देश में असहयोग अभियान चला रहे हैं। रविवार को पुलिस बलों और प्रदर्शनकारियों की कम से कम 20 जिलों में झड़प हुई। प्रदर्शनकारी लगातार प्रदर्शन करके प्रधानमंत्री शेख हसीना पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाए रखना चाहते हैं।
क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
बांग्लादेश में फैली देशव्यापी हिंसा को लेकर सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर प्रदर्शनकारी यह जानलेवा प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं और उनकी सरकार से क्या मांगे हैं। दरअसल, बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों को लेकर आरक्षण कानून का प्रावधान है। बांग्लादेश में आरक्षण प्रणाली के तहत 56 फीसदी सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए आरक्षण रिजर्व
इन नौकरियां में से 30 फीसदी आरक्षण साल 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा 10 फीसदी आरक्षण पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए और 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षण रिजर्व है। इसके अलावा पांच प्रतिशत आरक्षण जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत दिव्यांग लोगों के लिए आरक्षित है।
आरक्षण को लेकर क्या है विवाद?
इसमें भी बांग्लादेश की आरक्षण प्रणालियों में से विवाद 30 प्रतिशत आरक्षण को लेकर है, जो स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को दिए गए हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि सरकार उन लोगों को आरक्षण देने के पक्ष में है, जो शेख हसीना सरकार का समर्थन करते हैं। छात्रों का आरोप है कि मेरिट के आधार पर सरकारी नौकरियां नहीं दी जा रही हैं।
पिछले महीने हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए
बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की कोटा प्रणाली को लेकर पिछले महीने हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। जैसे-जैसे यह प्रदर्शन तेज होता गया, सुप्रीम कोर्ट ने कोटा घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, जिसमें से 3 प्रतिशत सेनानियों के रिश्तेदारों को दिया गया।